एक समय था जब लोग सूरज की किरणों के आधार पर समय और मौसमों के आधार पर दिनों का अंदाजा लगाते थे। यानी कि उस समय सूर्य और चंद्रमा ही कैलेंडर होते थे। जिसके आधार पर सर्दी, गर्मी, पतझड़ आदि मौसम का उन्हें संकेत मिलता था।
कैलेंडर का जन्म
लोगों की सुविधा के लिए सूरज और चांद की गणना करके कैलेंडर बनाने की शुरुआत हुई, जिसमें कई सैंकड़ों कैलेंडर बने। इसी में भारतीय पांचांग भी एक है।
दुनिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान्यता
पूरी दुनिया नये साल का जश्न 01 जनवरी को एक साथ मनाती है और इसका श्रेय जाता है ग्रेगोरियन कैलेंडर को, जिसे लगभग सभी देशों में आधिकारिक तौर पर स्वीकार्यता मिली हुई है। इस कैलेंडर को फरवरी 1582 में पोप ग्रेगोरी 8 ने दुनिया के सामने पेश किया था। इसीलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर को पश्चिमी क्रिश्चियन कैलेंडर भी कहा जाता है। भारत ने भी 22 मार्च 1957 को शक संवत पर आधारित राष्ट्रीय कैलेंडर के साथ ग्रेगोरियन कैलेंडर को सरकारी कामकाज के लिए स्वीकार किया था।
कैलेंडर में महीनों के नाम
रोम के राजा रोमुल्स ने रोमन कैलेंडर बनाया था। उन्हीं के काल से महीनों के नाम रखे गये।
जनवरी
रोमन के देवता ‘जेनस’ के नाम पर रखा गया है।
फरवरी
फरवरी महीने का नाम लेटिन के ‘फैबरा’ यानि के ‘शुद्धि के देवता’ के नाम पर रखा गया। यह नाम रोम की देवी ‘फ़ेब्रुएरिया’ के नाम पर रखा गया था।
मार्च
रोमन के देवता ‘मार्स’ के नाम पर रखा गया, वहीं रोमन में वर्ष की शुरुआत भी मार्च महीने से होती है।
अप्रैल
यह लेटिन शब्द ‘ऐपेरायर’ से बना है, जिसका मतलब होता है कलियों का खिलना। रोम में इस महीने बसंत मौसम की शुरुआत भी होती है जिसमें फूल खिलते हैं।
मई
ऐसा माना जाता है कि रोमन की देवी माइया का नाम पर पड़ा है।
जून
रोम के सबसे बड़े देवता ‘जीयस’ की पत्नी का नाम ‘जूनो’ था, और रोम में कहानी प्रचलित है की जूनो से ही ‘जून’ शब्द को लिया गया है।
जुलाई
रोमन साम्राज्य के शासक ‘जुलियस सिजर’ के नाम पर ही इस महीने का नाम जुलाई रखा गया था। जुलियस के बारे में कहा जाता है कि उसका जन्म और मृत्यु इसी महीने में हुई थी।
अगस्त
यह नाम रोम के पहले शासक ‘सैंट आगस्ट सीज़र’ के नाम पर रखा गया था।
सितम्बर
यह नाम लेटिन शब्द ‘सेप्टेम’ से बना है, रोम में सितंबर को सप्टेम्बर कहा जाता है।
अक्टूबर
अक्टूबर महीने का नाम लेटिन के ‘आक्टो’ शब्द से लिया गया है।
नवंबर
नवंबर का नाम लेटिन के ‘नवम’ शब्द से लिया गया है।
दिसम्बर
साल के आखिरी महीने दिसम्बर का नाम लेटिन के ‘डेसम’ शब्द से लिया गया है।
तो अब आप जान ही गए कि महीनों के नाम में बहुत कुछ रखा था!
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