माना कि कोरोना ने हम सभी को घरों में बंद कर दिया है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि कोरोना की वजह से हमें बहुत कुछ सीखने को भी मिल रहा है।
प्रकृति का सम्मान करना
जब से घर में बंद है, तब से हमने गाड़ी नहीं निकाली, फैक्ट्रियां बंद होने से कचरा नदियों में नहीं जा रहा, शोर में कमी, प्रदूषण में कमी। कहा तो ये भी जा रहा है कि ओजोन का छेद भी भरने लगा है। कई तस्वीरे देखने को मिल रही है, जिसमें पशु – पक्षी सड़कों पर निकल आए है। कुल मिलाकर वायरस ने समझाया है कि संसाधनों का सही इस्तेमाल करे, तो प्रकृति को साफ रखा जा सकता है।
परिवार की अहमियत को पहचाना
एक समय था जब लोग व्यस्त होने के कारण परिवार को पूरा समय नहीं दे पाते थे। लेकिन अब तो लोग इस लॉकडाउन का इस्तेमाल परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने और आपसी रिश्ते मज़बूत करने में कर रहे हैं। पहले के मुताबिक बच्चे अपने दादा-दादी और नाना – नानी से हर रोज़ बात कर पाते हैं क्योंकि सभी के पास अब काफी समय है। अब परिवार के साथ वो सब कुछ कर रहे हैं जिसे इतने वक्त से मिस कर रहे थे।
जो है है, उसमें संतुष्ट रहना
लॉक़ाउन के कारण लोग केवल उन्हीं चीज़ों का इस्तेमाल कर रही है जो उनके पास है। वे इस बात से संतुष्ट है कि कम से कम वे अपने परिवार के साथ सुख और शांति से रह रहे है। परिवार के साथ अपना सुख -दुख बांट और पूरा समय बिता रहे हैं।
मुश्किल वक्त में धैर्य रखना
सभी इस मुश्किल समय में एक -दूसरे को धीरज दे रहे हैं। घर में कई दिनों तक रहना इतना आसान नहीं है लेकिन फिर भी एकजुट होकर सभी देशवासी इस मुश्किल कोरोना वायरस का सामना कर रहे है। उनके इस तरह धैर्य रखने से यह साबित हो जाता है कि ये मुश्किल समय जल्द ही चला जायेगा।
दूसरों के प्रति दया का भाव रखना
कोरोना का सबसे ज़्यादा फायदा मानवता के रुप में उभरकर सामने आया है। आज कोविड-19 के चलते लगे लॉकडाउन ने ही हमें यह सिखाया कि स्वार्थ से ऊपर सोचना और दूसरों की मदद करना कितना ज़रूरी और सुखदायी है। इसकी मिसाल छोटे से गांव के बच्चे का गुल्लक तोड़कर अपने पैसे सेवा में देना, कभी किन्नर समुदाय ने बेरोज़गारी से जूझ रहे दिहाड़ी मज़दूरों और ज़रूरतमंदों को सामान देकर दिखाया है।
कोरोना वायरस को परेशानी समझकर नहीं, बल्कि एक बदलाव के तौर पर समझना चाहिए। जहां सारा देख एकजुट है और इस वायरस को दूर करने के लिये हर संभव काम कर रहा है।
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