जब आप कोशिश करते हैं, तो हारना असंभव हो जाता है, कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है, बैंगलूरु में मन्नूर के एक गांव बेलगावी में रहने वाले निशान मनोहर कदम ने। बॉक्सर निशान को स्टेट लेवल चैंपियनशिप के लिये अपने गांव से बैंगलूरू जाने वाली ट्रेन पकड़नी थी। गांव में आई बाढ़ की तबाही से सड़कों पर कई फुट तक पानी भरा था। चारों तरफ पानी के कारण पास की सड़क भी बहुत दूर लग रही थी। ऐसे में निशान ने हिम्मत नहीं हारी और मंज़िल की तरफ कूछ किया।
कैसे पहुंचा निशान मंज़िल के करीब?
निशान के किसान पिता जानते हैं कि कड़ी मेहनत का फल मीठा होता है। जब कोई रास्ता नज़र नहीं आया, तो उन दोनों ने अपनी मंज़िल तक जाने के लिये खुद राह बनाई। उन्होंने निशान की बॉक्सिंग किट को अच्छी तरह से प्लास्टिक में पैक करके कमर पर बांध लिया और पानी में छलांग लगा दी। बाप-बेटे की जोड़ी 45 मिनट में 2.5 किलोमीटर की दूरी पार कर मेन रोड पहुंचे। वहां बेलगावी डिस्ट्रिक्ट टीम उनका इंतज़ार कर रही थी।
और फिर मेहनत रंग लाई
बैंगलूरु पहुंच कर मुकाबले में तीन दिनों तक कड़ी टक्कर देकर निशान ने अपनी कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीत लिया। निशान काफी समय से इस प्रतियोगिता का इंतज़ार कर रहे थे और किसी भी कीमत पर इसे गंवाना नहीं करना चाहते थे। हालांकि वह फाइनल हार गये, लेकिन वह अपनी परफोर्मेंस से काफी खुश है।
कौन हैं निशान?
निशान बेलगावी के कॉलेज में बारहवीं क्लास के छात्र हैं, जिन्होंने दो साल पहले अर्जुन अवार्ड सम्मानित कैप्टन मुकुंद किलेकर के अंडर एमजी स्पोर्टिंग अकेडमी में बॉक्सिंग की शुरुआत की। चैंपियनशिप से कई दिन पहले बारिश की वजह से कई बच्चे प्रैक्टिस के लिये अकेडमी नहीं आ पा रहे थे और निशान भी उनमें से एक थे। इसके बावजूह उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
निशान देते है जीवन जीने की सही सीख
जीवन में कुछ हासिल करना हो, तो हिम्मत न हारें।
लगातार की गई मेहनत ज़रूर रंग लाती है।
सही दिशा में लगाई गई एनर्जी का परिणाम मीठा होता है।
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