पूरी दुनिया पृथ्वी से मंगल पर शिफ्ट होने के सपने देख रही है और अब वैज्ञानिकों ने इस सपने को सच करने की दिशा में एक और खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने ऐसी इनडोर तकनीक का विकास किया है, जिससे अंतरिक्ष में सब्ज़ियां और फल उगाना संभव होगा। यदि ऐसा हो गया तो इससे न सिर्फ अंतरिक्ष में मानव बस्तियां बसाने में आसानी होगी, बल्कि अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने वाले एस्ट्रोनॉट्स को भी पैक्ड फूड के भरोसे नहीं रहना होगा, क्योंकि उन्हें अंतरिक्ष में ताज़े फल और सब्ज़ियां मिलेंगी।
और इस खास तकनीक का परीक्षण किया जाएगा अंटार्कटिका में।
अंटार्कटिका ही क्यों?
हालांकि आपको ऐसा लग सकता है कि यह जगह ग्रीन हाउस के लिए सही नहीं है, लेकिन यहां सीमित संसाधन, अन्य क्षेत्रों से अलगाव और मौसम की कठिन परिस्थितियां एस्ट्रोनॉट्स को लगभग वैसे ही महसूस करता है जैसा वह अंतरिक्ष में करते हैं।
यहां का पूरा सेटअप ग्रीन हाउस की तरह किया गया है, जहां पानी और रोशनी का स्तर ऑटोमैटिकली कंट्रोल होता है। और यहां वैज्ञानिकों को अपनी मेहनत से उगाई गई फल और सब्ज़ियां दिख रही हैं।
वैज्ञानिक यह कैसे कर रहे हैं?
दरअसल, यह 12 मीटर लंबी मोबाइल सुविधा है, जो दो इंटरकनेक्टेड शिपिंग कंटेनर्स से बनाई गई है। इसमें सॉइललेस तकनीक यानी बिना मिट्टी के खेती की जाती। इस तकनीक में शामिल हैं तापमान और नमी कंट्रोल करने का सिस्टम, वॉटर रिसाइकलिंग, ऑटोमेटेड न्यूटिएंट पंपिंग, एलईडी लाइटिंग और रिमोट प्लांट मॉनिटरिंग।
खेती के लिए उपयोग की जाने वाली इस प्रक्रिया को एरोपोनिक कहा जाता है, जिसमें पौधे जड़ों में लगाए जाने वाले पानी से पोषक तत्व अवशोषित करते हैं।
पोषक तत्वों के घोल में भिगोए गए पत्थर और ऊन के ब्लॉक का उपयोग करके बीज को ट्रे में तैयार किया जाता है। जब ये अंकुरित हो जाते है, तो इन्हें वर्टिकल रैक्स में लगा दिया जाता है।
सब्ज़ियां वर्किटल रैक्स में उगली हैं और जड़ें प्लांट ग्रोथ ट्रे में फैलती हैं। इस ग्रीन हाउस में सब कुछ रिमोट से नियंत्रित होता है, लेकिन बीज़ लगाने, कटाई और सफाई का काम मैन्युअली करना होता है।
फसलों की वृद्धि देखने के लिए हाई डेफिनेशन कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरा पौधों को होने वाले तनाव का भी पता लगा लेते हैं। इस तरह से हेल्दी और तनावरहित पौधों को अलग किया जा सकता है और यदि कोई समस्या है तो उसे जल्द ठीक किया जा सकता है।
परिणाम
अभी तक, अंटार्कटिका में अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट के न्यूमायर III स्टेशन- जो पोलर (ध्रुवीय) रिसर्च का जर्मन बेस है, में 268 किलोग्राम फसल का उत्पादन किया गया है। इसमें 67 किलो ककड़ी और 50 किलो टमाटर शामिल हैं। इसके अलावा, स्विस चार्ड, मूली, ताजी जड़ी-बूटियां और विभिन्न प्रकार के लेट्यूस भी उगाये जा चुके हैं।
इस प्रोजेक्ट के डेटा और जांच का इस्तेमाल धरती पर मौजूद ग्रीनहाउस को और बेहतर बनाने के लिए भी किया जा सकता है, इससे किसानों को कम जगह और पानी में स्वस्थ और पोषक तत्वों से भरपूर फसल उगाने में मदद मिलेगी।
अंतरिक्ष में होने वाली इस खेती को लेकर हम तो बहुत उत्साहित है, और आप?
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