क्या आपके साथ कभी बचपन में ऐसा हुआ है कि आप किसी खिलौने को पाने का सपना देख रहे हो और आपके किसी अपने ने उसे ला दिया हो। अगर इसका जवाब हां है, तो याद कीजिए उस समय आपको कितनी खुशी मिली होगी। साल में कितने सारे मौके मिलते हैं, जब आपको अपने गिफ्ट देते है लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं, जो चाह कर भी अपने बच्चों के लिए उपहार नहीं ला सकते। उनके लिए उपहार खरीदने से ज़्यादा ज़रूरी होता है बच्चों के लिए दो वक्त के खाने का इंतज़ाम करना। जिन बच्चों ने कभी खिलौनों से नहीं खेला उन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर ने का काम दिल्ली के एक संगठन ‘दि टॉय बैंक’ ने कर दिखाया।
ऐसे जन्म हुआ ‘दि टॉय बैंक’ का
15 साल पहले विद्युन के पिता ने उनके खिलौनों को पास की एक बस्ती के बच्चों में बांट दिया था, जिसके बाद उनके पड़ोसियों और दोस्तों ने भी ऐसा करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इस छोटे से कदम ने बढ़कर 2012 में एक औपचारिक संगठन का रूप ले लिया जिसे विद्युन गोयल चलाती हैं। दि टॉय बैंक दिल्ली से शुरु होकर एनसीआर, भोपाल और मुंबई में पहुंच चुका है। इसके बाद इस संगठन ने स्कूल कनेक्ट प्रोग्राम, आंगनवाड़ी प्रोग्राम से जुड़कर पूरे देश में अपनी पहुंच बना ली हैं। खिलौनों को भारतीय रेलवे के ज़रिये उनकी मंज़िल के नज़दीकी स्टेशन तक पहुंचाया जाता है, जहां से स्थानीय वॉलंटियर्स पार्सल को सही पते तक पहुंचा देते हैं। हर खिलौने को भेजने से पहले उसकी पूरी तरह से जांच होती है, जिसके बाद उस को साफ कर के पैक किया जाता है।
हर बच्चे के लिए ज़रूरी होते हैं खिलौने
खिलौने बच्चे के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और ये सिर्फ खेलकूद या मनोरंजन के लिए ही नहीं होते बल्कि बच्चे के विकास और भावनाओं को बेहतर करने में भी मदद करते हैं। खिलौनों से बच्चों में फिज़िकल स्किल्स, ग्रौस मोटर स्किल्स और फाइन मोटर स्किल्स विकसित होती हैं क्योंकि खिलौने से खेलने के लिए वह उन तक पहुंचने की कोशिश करते हैं, उन्हें समझने की और चलाने की कोशिश करते हैं, उन पर चढ़ते हैं, क्रॉल करते हैं, दौड़ते हैं और बैलेंस बनाने की कोशिश करते हैं। खिलौने रंग, संख्या और आकार सीखने में मदद करते हैं और यहां तक कि भाषा कौशल को भी बढ़ाते हैं।
दि टॉय बैंक का बच्चों पर प्रभाव
इस इनिशियेटिव से बच्चे शेयर करने के साथ-साथ रीयूज़ और रीसायक्लिंग के महत्व को भी सीख रहे हैं। ऐसी कई जगह हैं, जहां खिलौनों के वितरण अभियान से पहले बच्चों को कभी खिलौनों के साथ खेलने का मौका नहीं मिला था। मसलन मध्य प्रदेश के अंदरूनी इलाकों में स्थित एक गांव कलाम तालाई है, जहां के बच्चे इतनी बुनियादी चीज़ तक ‘दि टॉय बैंक’ की मदद से पहुंचे हैं। जिन स्कूलों में यह संगठन इस प्रोग्राम को चला रहा है, उन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ गई है, जो बच्चों के भविष्य के लिए हर लिहाज़ से बेहतर है।
अगर हर इंसान दूसरों की भलाई के लिए ऐसे छोटे-छोटे कदम उठाने की कोशिश करेगा तो इससे खुद के मन को भी सुकून मिलेगा, जैसे विद्युन को संतुष्टि मिलती है, हज़ारों बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर कर।
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