कोविड 19 के बाद कई समुद्र तट और नदियां अपने आप साफ होने लगे थे। इसकी वजह थी लोगों का घरों में रहना, जिससे समुद्रों और नदियों के किनारे कचरा नहीं हुआ। लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से कुछ लोगों की लापरवाही से तटों पर कचरा दिख रहा है। ऐसी ही समस्या से गुज़र रहा था आंध्र प्रदेश का रत्ती गांव। स्वच्छता पर ध्यान देने और लोगों को जागरुक करने के लिए वहां के युवाओं ने ‘ग्रेट मंडसा-क्लीन मंडसा’ पहल शुरु की।
रत्ती गांव में फैला कचरा
श्रीकाकुलम जिले के मंडसा में रत्ती गांव के पास सुंदर समुद्र तट है, जहां लोग अक्सर अपनी छुट्टियां मनाने, घुमने-फिरने या पार्टी के लिए आते हैं। इससे आसपास के गांव के लोगों को रोज़गार मिलता है लेकिन इसका दुखद पहलू यह है कि लोग कचरा फैला जाते हैं। इस कारण समुद्र तट प्लास्टिक और अन्य कचरे के डंपिंग ग्राउंड में बदल गया।
मंडसा युवाओं ने लिया सफाई का फैसला
रत्ती गांव के युवाओं ने जब गौर किया कि लगातार कचरे के अंधाधुंध डंपिंग के कारण समुद्र अपनी चमक खो रहा है, तो मंडसा के युवाओं ने गांव और समुद्र की सफाई करने का फैसला लिया। समुद्र तटों को फिर स्वच्छ बनाने के लिए ‘ग्रेट मंडसा-क्लीन मंडसा’ पहल शुरु की।
नेक उद्देश्य
यह युवा न सिर्फ पर्यटकों द्वारा फैलाए कचरे और प्लास्टिक को साफ करते हैं, बल्कि घूमने आए लोगों को तटों की साफ-सफाई और हरियाली के प्रति जागरुक भी कराते हैं। इसके साथ आजकल ये युवा लोगों को कोविड 19 से सुरक्षित रहने के एहतियाती उपायों पर भी जानकारी देते हैं।
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मंडसा युवाओं की मेहनत रंग लाई
मंडसा युवाओं की इस पहल से समुद्र तटों पर कचरा कम होने लगा। रत्ती गांव के पास समुद्र तट की चमक और सुंदरता फिर से लौट आई है। युवाओं की इस पहल का नतीजा ये निकला कि अन्य लोग भी साफ-सफाई में उनका साथ दे रहे हैँ।
अगर मंडसा युवाओं की तरह सभी स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ लें, तो वह दिन दूर नहीं जब हर गांव, शहर और देश साफ, सुंदर कहलाएगा और कह सकेंगे कि हम साफ धरती का तोहफा अपनी आने वाली पीढ़ी को देकर जा रहे हैं।
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