अगर आप हाल ही में अपना घर शिफ्ट करने वाले हैं, तो आपके मन में क्या-क्या बातें चलती हैं? ज़ाहिर सी बात है कि आपका सबसे ज़्यादा फोकस होता है कि नया ऑफिस कैसा होगा, सही जगह पर घर मिलना, बच्चे का एडमिशन कराना और फिर नई जगह पर सेट होना। माना कि आपके मन में ये सभी सवाल घूमते रहते है, पर क्या आपने ध्यान दिया कि आपके बच्चे के मन में क्या सवाल होते है। बच्चे हैं तो क्या, उनकी भी एक अलग दुनिया होती है। घर शिफ्ट करने का मतलब है, उनका स्कूल, टीचर्स, दोस्त, गार्डन और सबसे बड़ी बात उनका रूटीन बदल जाना। इन सब चीज़ों में एक-साथ बदलाव आने से बच्चों के अंदर कई इमोशनल बदलाव आ सकते हैं।
अगर आप भी एक शहर या लोकेलिटी से शिफ्ट करने वाले हैं, तो इन बातों पर ज़रूर ध्यान दें।
योजना में शामिल करें
शिफ्टिंग के दौरान बच्चों में तनाव इसलिए आता है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी सारी प्यारी चीज़ें उनसे दूर होने वाली हैं। इस तनाव से उन्हें बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि नये शहर और घर की छोटी-छोटी डीटेल्स उनके साथ शेयर करें। छोटे-छोटे निर्णयों में उन्हें शामिल करें, जैसे उनके कमरे की सजावट कैसी हो, शाम को वह कौन सी एक्टिविटी ज्वाइन करना चाहेंगे वगैरह।
उसके साथ खड़े रहें
बच्चे की घबराहट को समझें और उसके साथ हर हाल में खड़े रहें। उसे इस बात का यकीन दिलवायें कि आप उसके जज़्बातों की कद्र करते हैं और उसके किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार हैं। इस परिस्थिति में बच्चे को परिवार का असली महत्व समझ आता है।
रुटीन फॉलो करते रहें
घर शिफ्ट करना एक थका देने वाला कदम होता है। आपके सामने एक साथ कई काम आ जाते हैं। ऐसे में पहले जैसा रूटीन फॉलो करना थोड़ा मुश्किल ज़रूर हो सकता है, लेकिन ऐसा करने से आपके बच्चे को आराम मिलता है। उसकी दिनचर्या पहले की तरह ही रहती है, तो उसे नये परिवेश में भी आराम मिलता है।
पुराने दोस्तों से संपर्क में रहें
दोस्त बच्चों की दुनिया होते हैं और उनसे दूर होना एक सज़ा की तरह लगता है। घर शिफ्ट करने के बाद अपने बच्चों के दोस्तों के साथ संपर्क में रहें। उन्हें चिट्ठी लिखें या सोशल मीडिया की मदद से उनसे जुड़े रहें।
नई टीचर्स से मदद लें
बच्चों की नई टीचर्स को इस बदलाव के बारे में व्यक्तिगत तौर पर बताये और उनसे बच्चे का खास ध्यान रखने की रिक्वेस्ट करें। नई टीचर्स के थोड़े ज़्यादा प्यार से और नए दोस्त बनाने में उनकी मदद से बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है।
ज़िंदगी में बदलाव आते रहते हैं और ऐसे में पॉज़िटिव रहने से बच्चों का मनोबल बढ़ता है। बच्चों को इस बदलाव से जुड़ी अच्छी चीज़ों के बारे में बतायें और उनकी हर कोशिश की तारीफ करें।
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