“लक्ष्य न ओझल होने पाए कदम मिलाकर चल,
सफलता तेरी कदम चूमेगी आज नहीं तो कल”
कविता की ये लाइनें उन चार भाई-बहनों पर बिलकुल फिट बैठती है, जिन्होंने केवल 2 कमरे के घर में रहकर आईएएस और आईपीएस बनने की जी तोड़ मेहनत की।
सपना पूरा करने का ज़ज़्बा
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़, लालगंज तहसील के रहने वाले अनिल मिश्रा के घर में कुल 6 सदस्य है। अनिल, उनकी पत्नी और चार बच्चें योगेश, क्षमा, माधवी और लोकेश। दो कमरे के घर में इनका पूरा परिवार रहता था। ऐसे में जब कोई मेहमान उनके घर आ जाता था, तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता था। इसी वजह से अक्सर उन्हें पढ़ने में दिक्कत भी होती थी। फिर भी समय न गंवाते हुए एक दूजे को पढ़ाई में मदद करते थे।
प्यार और समझदारी की डोर से बंधे
चारों भाई-बहनों में उम्र का फर्क बहुत अधिक नहीं है। सभी एक-दूसरे से एक साल छोटे-बड़े हैं। लेकिन कभी-कभी खेल के दौरान किसी बात को लेकर नोक-झोंक भी होती थी, तो उनमें से कोई एक इस नोकझोंक को प्यार में बदलने की ज़िम्मेदारी उठाता था। सभी को एक जगह इकट्ठा कराकर उनमें समझौता कराता था। अगर कोई निराश हो जाये, तो एक दूजे को समझाकर उसे आगे बढ़ने का हौसला देता था। ये प्यार आज भी इन चारों में हैं।
बड़ा भाई बना प्रेरणा
चारों भाई बहनों में सबसे बड़े भाई योगेश, आईएएस होने से पहले वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और नोएडा में काम कर रहे थे। जॉब के साथ उन्होनें सीविल सर्विसेस की पढ़ाई जारी रखी थी। उस समय उनकी दोनों बहनें क्षमा-माधवी दिल्ली में आईएएस की तैयारी कर रही थी। रक्षाबंधन के एक दिन पहले दोनों के एग्ज़ाम का रिजल्ट आया और वे फेल हो गईं। इस वजह से दोनों बहनें निराश थी।
अपनी बहनों के चेहरे में ये निराशा देखकर, एक दिन बाद योगेश राखी बंधवाने बहनों के पास गये और उनका हौसला बढ़ाया। उसी दिन ठान लिया कि सबसे पहले वह खुद आईएएस बनकर दिखाएगें, जिससे उनके छोटे भाई-बहनों को प्रेरणा दे सकें। फिर तैयारी शुरू की और पहली बार में ही आईएएस बन गये। इसके बाद उन्होंने अपने छोटे भाई-बहनों का मार्गदर्शन किया। जिसका नतीजा ये है कि आज उनके तीनों भाई -बहन अधिकारी हैं।
आईएएस – आईपीएस के पद पर है ये चारों भाई-बहन
सबसे बड़े हैं योगेश मिश्रा, जो आईएएस है। इस समय कोलकाता में राष्ट्रीय तोप और गोला निर्माण में प्रशासनिक अधिकारी हैं। दूसरे नंबर पर हैं बहन क्षमा मिश्रा, जो आईपीएस हैं और कर्नाटक में पोस्टेड हैं। तीसरे नंबर पर माधवी मिश्रा, जो झारखंड कैडर की आईएएस हैं। सबसे छोटे भाई लोकेश मिश्रा, जो आईएएस हैं और बिहार के चंपारण जिले में ट्रेनिंग कर रहे हैं।
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