एक मशहूर लेखक ने सच ही कहा है कि ‘उम्र सिर्फ एक दिमागी ख्याल है, अगर आप इसके बारे में नहीं सोचते तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता’ और इस कथन को सच साबित करने वाले कोई और नहीं बल्कि पॉकेट हरक्युलिस के नाम से जाने गए भारत के बॉडीबिल्डर मनोहर एच हैं। देश के आज़ाद होने के कुछ साल बाद ही मनोहर ने 39 साल की उम्र में मिस्टर यूनिवर्स (1952) का खिताब जीत कर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया था। यही नहीं, 103 साल का लंबा जीवन जीने वाले मनोहर के सामने कई चुनौतियां आईं लेकिन उन्हें अपने जीवन से कभी कोई शिकायत नहीं रही।
कभी हार नहीं मानी
मनोहर एच का जन्म 17 मार्च 1913 को कोमिला ज़िले के पुटिया गांव में हुआ, जो अब बांग्लादेश का हिस्सा है। बचपन में जानलेवा बीमारी से बचने के बाद मनोहर एच ने सेहतमंद जीवन बिताने की ओर ध्यान दिया। उनके आसपास कई लोकल पहलवान प्रैक्टिस करते थे, जिनको देख कर उन्होंने भी अपने लिए पुशअप और स्क्वैट रिजीम बनाया और जीवन भर उस पर अडिग रहे।
परिवार को पालने के लिए दिखाया मेलों में बल प्रदर्शन
मनोहर के किशोरावस्था में पहुंचते ही उनके पिता गंभीर रूप से बीमार पड़ गए, इसलिए परिवार की देखरेख की ज़िम्मेदारी उन पर आ गई। यह वो समय था जब उन्होंने पैसों के लिए स्थानीय मेलों में अपनी ताकत का प्रदर्शन करना शुरू किया। प्रदर्शन के दौरान मनोहर कभी स्टील के रौड को आसानी से मोड़ देते, तो कभी 1000 पन्नों की किताब को एक झटके में फाड़ देते या कभी 200 किलोग्राम के भार को खींच देते और कभी तलवार की नोक पर खुद को पेट के बल संतुलित कर लेते। एक बार ऐसे ही स्टंट के दौरान उनका संतुलन बिगड़ गया था, जिससे तलवार उनकी गरदन पर चुभ गई और उसका निशान अंत तक उनकी गरदन पर रहा। 1960 से उन्होंने सर्कस में काम करना शुरू किया जिसकी वजह से वह अपने परिवार के साथ देश के कई हिस्सों में गए। उनका मशहूर एक्ट था, गाने पर मसल डांस करना। उन्होंने 87 साल की उम्र तक परफॉर्मेंस दिये।
लंबी और खुशहाल उम्र का सीक्रेट
मनोहर की लंबी उम्र और सहनशक्ति का रहस्य उनका खानपान था। जीवन भर वह शराब, स्मोक या किसी भी तरह के नशे से दूर रहे और बिल्कुल साधारण आहार लेने की आदत डाली, जिसमे मछली, चावल, फल, दूध, सब्ज़ियां, दालें शामिल थी। मनोहर कभी स्ट्रैस नहीं लेते थे, इसलिए उन्होंने अंत तक एक खुशहाल जीवन जिया।
बेटे के साथ चलाते थे जिम
मनोहर अपने बेटे के साथ मिलकर कोलकाता में एक जिम चलाते थे, जहां पर उन्होंने कई बॉडी बिल्डर्स बनाए, जिनमें से एक 83 साल के क्षितिज चैटर्जी है। क्षितिज ने भी मनोहर के जिम में ट्रेनिंग ली थी और भारत को तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में रिप्रेज़ेंट किया था। उनसे ली गई ट्रेनिंग कोई भी बॉडीबिल्डर नहीं भूल सकता क्योंकि वह बिना किसी चीज़ की परवाह किये, मन से ट्रेनिंग देते थे।
मनोहर एच के जीवन जीने का तरीका हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें रास्ते में आ जाएं, आगे बढ़ना नहीं छोड़ना चाहिए। जो दिल चाहता है उसे हर परिस्थिति में हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।
इमेजः इकनोमिक टाइम्स
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