जब हम किसी के अंधेरे में रोशनी देने का प्रयास करते है, तो मन को बहुत सकून मिलता है। कुछ ऐसा ही करने का जज़्बा तीन ऑस्ट्रेलियाई युवाओं को महसूस हुआ, जब उन्होंने भारत में रहने के दौरान झुग्गियों के बच्चों की दुर्दशा को देखी। उन लोगों की ज़िंदगी को बेहतर करने के लिए तीनों युवाओं ने जरूरतमंद लोगों को सोलर लैंप बांटना शुरू किया। बाद में हमारे देश के तीन अन्य युवा भी उनके इस नेक काम से जुड़ गए और उसके बाद उन्होंने पराग ऊर्जा नाम की एक सोशल इंटरप्राईजेज की स्थापना की। इस मुहिम के द्वारा उन्होंने जरूरतमंदों में खुशियों की रोशनी बांटने का काम शुरू किया।
सोलर लैंप के अलावा ये पर्यावरण अनुकूल और सुरक्षित घरेलू प्रोडक्ट भी न्यूनतम कीमतों पर बेचते है। इन प्रोडक्ट्स में वाटर फिल्टर, सोलर पंखे, कुकिंग स्टोव, मोबाइल फोन चार्जर और मच्छरदानी शामिल हैं।
कई यूनिवर्सिटी दे रही है सपोर्ट
खास बात यह कि इन युवाओं को ऑस्ट्रेलिया के कुछ नामी विश्वविद्यालय, जिनमें यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, सिडनी, मेलबर्न यूनिवर्सिटी और क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी भी हरसंभव तरीके से मदद करते हैं। ऑस्ट्रेलियाई युवाओं की इस अनूठी पहल से आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के घरों में खुशहाली आने लगी है। पहले अंधेरा होते ही जहां किसी की दुकान बंद हो जाया करती थी, वहीं रोशनी का प्रबंध हो जाने के बाद, यानी सोलर प्रोडक्ट मिलने के बाद से देर शाम तक दुकान खुलने लगी है। इससे उनकी कमाई बढ़ गई है और इससे उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा पर भी रकम खर्च करने में मदद मिली है।
कौशल बढ़ाने पर भी ज़ोर
रोशनी मिलने की वजह से ये लोग अपनी आमदनी से 15 फीसदी से अधिक बचा पा रहे हैं, वहीं इससे उनके बच्चों की पढ़ाई का समय भी 17 फीसदी बढ़ गया है। खास बात यह कि पराग ऊर्जा ने भी अपनी गतिविधियों को हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ और कानपुर में फैला दिया है और करीब 20,000 परिवारों को फायदा मिल चुका है। पराग ऊर्जा अपने स्तर पर महिलाओं और पुरुषों के कौशल को बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहा है।
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इमेज: इंडियन एक्सप्रेस