अक्सर लोग कहते हैं कि हमें नींद ज़्यादा आ रही है या बहुत ज़्यादा आलस आ रहा है, तो हो सकता है कि यह कफ दोष की वजह से हो। अगर आपके खाने में खट्ठा-मीठा ज़्यादा है, ठंडे पानी का सेवन करते हैं, नमकीन या मीठी चीज़ों का सेवन बहुत है, तो कफ दोष हो सकता है।
क्या है कफ दोष?
जब शरीर के पांच तत्वों में से पृथ्वी और जल का मिलान होता है, तो कफ बनता है और इसका संतुलन बिगड़ने से यह दोष में बदल जाता है। शारीरिक और मानसिक संतुलन और मज़बूती के लिए कफ ज़िम्मेदार होता है। इसके कारण ही शरीर में रोगों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता होती है। यह शरीर के तरल पदार्थ के स्तर को संतुलित रखता है। अगर आयुर्वेद की माने तो यह ठंडा, भारी, धीमा, नरम, स्थिर, पतला और तैलीय होता है। इस दोष के कारण मोटापा, थायराइड, खांसी-जुकाम और मोतियाबिंद जैसी बीमारियां होती है।
स्वभाव पर डालता है असर
- आलस आना
- ज़रूरत से ज़्यादा सोना
- निर्जीवता की भावना आना
- किसी भी काम में दिल न लगना
- धीमी चाल होना
- जल्दी लालच आना
- परिवर्तन स्वीकार करने में हिचकिचाहट होना
अगर शरीर में कफ संतुलित हो तो दूसरों के प्रति प्रेम, दूसरों को माफ करने की भी भावना रहती है। इसके साथ ही अगर गलती हो जाए तो माफी मांगने में भी हिचकिचाहट नहीं होती। मन में धीरज आता है।
संतुलित रखने के उपाय
- हर दिन नहाने से पहले 15 मिनट के लिए गर्म तिल के तेल से मालिश करें।
- तीखी, कड़वी या कसैले स्वाद की चीजें खाएं।
- लाल व काली मिर्च, अदरक, दालचीनी और जीरे का सेवन करें। नमक से बचें।
- साबुत और ताजी पकी हुई सब्जियां खाएं। हल्की, सूखी और गर्म चीजें खाएं।
- हफ्ते में कम से कम पांच दिन कार्डियो ज़रूर करें, जिसमें साइकलिंग, हाइकिंग, कुश्ती, तैराकी, जॉगिंग, ब्रिस्क वॉकिंग को शामिल करें।
- आलस से बचें और एक्टिव रहें।
- योग के इन आसनों की मदद लें – सूर्य नमस्कार, अर्ध चंद्रासन, वीरभद्रासन, त्रिकोणासन, वृक्षासन, धनुरासन, शीर्षासन, पूर्वोत्तानासन और शवासन करें।
जीवन में कुछ आदतों के सुधार से कफ दोष में सुधार किया जा सकता है।
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