गरीब किसान का बच्चा होने के कारण किताबें खरीदकर पढ़ना शंकर के लिए आसान नहीं था। जयपुर जिले के छोटे से गांव रावपुरा में रहने वाले शंकर यह भी जानते थे कि उसके जैसे हज़ारों बच्चे हैं, जिनके लिए किताबें खरीदना आसान नहीं हैं। ऐसे जरूरतमंदों की समस्या का हल उन्हें डिजिटल ऐप्स में नज़र आया। इसी के चलते उन्होंने बिना किसी प्रोफेशनल डिग्री के 40 से ज्यादा एजुकेशनल ऐप्स बना दिए, जो दूसरों के पढ़ने में मदद कर रहे हैं। शंकर के सारे ऐप्स मुफ्त उपलब्ध है और सबसे खास बात यह है कि ये ऐप्स ऑफलाइन काम करते हैं और समय-समय पर ऑटोमेटिक अपडेट भी हो जाते हैं।
कहां से आया आइडिया?
साल 2009 में शंकर जब गांव के सरकारी स्कूल की 8वीं कक्षा के छात्र थे, तब एक टीचर ने उन्हें कंपटीटिव एक्ज़ाम की तैयारी के लिए प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन खोजने की सलाह दी। इससे उन्हें पता चला कि ऑनलाइन भी पढ़ाई की जा सकती है। इसके बाद उनकी रुचि कंप्यूटर में बढ़ने लगी। फिर उनके पिता ने आर्थिक संकट के बावजूद उसे कंप्यूटर खरीद दिया, जिससे उन्होंने गूगल पर ऐप बनाने की तकनीक सीखना शुरू की। बारहवीं पास करने के बाद उन्होंने बेंगलुरु की एक संस्था से एंड्रॉयड डेवलपमेंट की ऑनलाइन ट्रेनिंग ली।
डिजिटल इंडिया मुहिम बनी प्रेरणा
ट्रेनिंग कंप्लीट करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया कैंपेन से प्रेरणा लेकर शंकर ने कई एजुकेशनल ऐप बनाए। साथ ही उन्होंने धर्म, स्वास्थ्य, खेल आदि से संबंधित ऐप्स भी बनाए हैं। ऐप्स के कंटेंट जेनरेशन में उन्हें शिक्षकों और दोस्तों से मदद मिलती है। आज शंकर समेत चार अन्य लोगों की एक टीम है, जो ऐप्स को अपडेट रखने में उनकी मदद करते हैं। चूंकि, गांव में इंटरनेट व नेटवर्क की समस्या हमेशा बनी रहती है, इसलिए उन्होंने ऐसे ऐप्स बनाए हैं, जो ऑफलाइन भी इस्तेमाल किए जा सके।
गांव का भी ऐप
शंकर अपने गांव के पहले ऐप डेवलपर हैं और उन्होंने अपने गांव के नाम रावपुरा का ऐप बनाया है, जिसमें गांव की सभी जानकारियां उपलब्ध हैं। अपनी इस पहल के लिए जिला कलेक्टर शंकर को सम्मानित कर चुके हैं।
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