संगीत आपके मन और व्यवहार दोनों से जुड़ा हुआ है। आप जैसा संगीत सुनेंगे, वैसा ही महसूस करेंगे क्योंकि मानव जन्म से भी पहले संगीत का जन्म हो गया था। मान्यताओं के अनुसार जब ब्रह्मांड की उत्पति हुई थी, संगीत का तभी जन्म हुआ था। साथ ही दुनिया की पहली ध्वनि ‘नादब्रह्म’ है और यह दुनिया की सबसे शुद्ध ध्वनि है। नादब्रह्म को मेडिटेशन के रूप में भी पहचान मिली है।
दिल्ली के हैप्पी स्कूल की म्यूज़िक टीचर कविता वत्स पिछले 35 सालों से बच्चों को संगीत सिखा रही हैं और उनका कहना है कि संगीत का हमारे ऊपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। वह बच्चे के ध्यान को केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ उसके व्यवहार पर भी असर दिखाता है। इतना ही नहीं वह यह भी कहती हैं कि जिस तरह बच्चे के जन्म से पहले मां को अच्छी किताबे पढ़ने की सलाह दी जाती है, उसी तरह उसे मधुर संगीत सुनने के लिए भी कहा जाता है क्योंकि संगीत एक तरह का मेडिटेशन है, जो मां और उसके बच्चे दोनों को लिए लाभकारी है।
चलिए अब शास्त्रीय संगीत पर नज़र डालते हैं-
भारत में दो तरह के शास्त्रीय संगीत को पहचान मिली है; उत्तर भारत के ‘हिंदुस्तानी संगीत’ और दक्षिण भारत के ‘कर्नाटक संगीत’। हिंदुस्तानी संगीत में तुर्की और पारसी संगीत के तत्व महसूस होते हैं, तो वहीं कर्नाटक संगीत में विभिन्नता होने के साथ-साथ थोड़ी जटिलता भी होती है। पुरंदर दास को कर्नाटक संगीत के जन्मदाता माना जाता है।
हिंदुस्तानी संगीत
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ध्रूपद, ख्याल, दादरा और ठुमरी जैसी मुखर शैली पाई जाती हैं। इसको शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय, दो भागों में बांटा गया है। शास्त्रीय संगीत में रागों का सख्ती से पालन करना होता है, तो वही अर्ध शास्त्रीय या सेमी क्लासिकल में राग और ताल का ख्याल रखते हुए म्यूज़िक को डेविएट करने की आज़ादी होती है। समय के साथ शास्त्रीय रागों में भी परिवर्तन आये हैं। उनमें अलापों को छोटा कर दिया गया है और लोकप्रिय रागों को बार-बार सुनने योग्य बना दिया गया है।
कर्नाटक संगीत
कर्नाटक शास्त्रीय संगीत भी कुछ हद तक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की ही तरह है, लेकिन यह स्वतंत्र है और इसका अधिक पॉज़िटिव प्रभाव पड़ता है। कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की संरचना भी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तरह ही है, लेकिल इसमें इस्तेमाल होने वाले इंस्ट्रूमेंट्स, रिदम और रागम (राग), एक दूसरे से अलग हैं। इसकी थलम (ताल) भी काफी समृद्ध और जटिल हैं।
हिंदुस्तानी हो या कर्नाटक, भारतीय शास्त्रीय संगीत ने दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई हुई है। ज़ाकिर हुसैन, रवि शंकर, हरिप्रसाद चौरसिया, अमजद अली खां, एमएस सुब्बुलक्ष्मी जैसे महान संगीतकारों ने विश्व में भारतीय शास्त्रीय संगीत का परचम बुलंद किया है।
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