अगर कोई डिप्रेशन की बात करता है, तो सुनने वाले को नाम से ही यह बहुत बड़ी बीमारी लगती है। हालांकि यह काफी हद तक सही बात है कि डिप्रेशन में व्यक्ति ज़रूरत से ज़्यादा भावनात्मक हो जाता है और उसकी भावनाएं उसे ही दबाने लगती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर व्यक्ति चाहे तो इस डिस्ऑर्डर से बाहर निकल सकता है। डिप्रेशन में व्यक्ति के अंदर निराशा भर जाती है, वो खुद को दूसरों से अलग-थलग पाता है और उदासीन महसूस करता है। यह भावनाएं महज़ दुख से बेहद अलग होती हैं, और कई हफ्तों से लेकर कई महीनों तक व्यक्ति को घेरे रखती हैं।
डिप्रेशन के लक्षण
- दिन के ज़्यादातर समय डिप्रेस्ड रहना और हर चीज़ में निराश महसूस करना। उनका यह व्यवहार आस-पास के लोगों को आसानी से नज़र आ सकता है।
- किसी भी चीज़ में रुचि नहीं लेना और हर समय उदासीन रहना।
- बिना कारण के काफी वज़न कम या ज़्यादा हो जाना।
- ज़रूरत से ज़्यादा समय तक सोते रहना।
- डिप्रेशन में कुछ लोग बहुत ज़्यादा गुस्सा दिखाने लगते हैं, बेचैन रहते हैं, अपने कपड़े जल्दी-जल्दी बदलते हैं और बड़ी हड़बड़ाहट में काम करते हैं। तो वहीं कुछ लोग बेहद धीरे हो जाते है। हल्के से बोलते हैं, धीरे से चलते है आदि।
- एक डिप्रेस्ड व्यक्ति के अंदर कुछ भी करने की ताकत नहीं होती, फिर चाहे वो कितना ही छोटा सा काम क्यों न हो।
- पुरानी बातों और गलतियों को सोच कर पछताते हैं।
- डिप्रेशन के कारण व्यक्ति के सोचने, समझने और फैसला लेने की क्षमता कम हो जाती है।
- कई बार व्यक्ति अपनी जान देने के बारे में सोचने लगता है, जो बिलकुल गलत है।
बातों का रखें ध्यान
- ओमेगा-3 फैटी एसिड का इस्तेमाल करें। इसकी कमी होने से भी दिमागी परेशानियां होती हैं।
- नेगेटिव विचारों से बचने के लिए खुद को किसी न किसी चीज़ में व्यस्त रखें।
- कसरत ज़रूर करें। इससे हैप्पी हॉर्मोंस जैसे डोपेमाइन और सेरोटोनिन का एक्टिविटी लेवल बढ़ जाता है, जो ब्रेन को अच्छा महसूस करने में सहायक होता है।
- सोशलाइज़ करें। दोस्तों और परिवार वालों से अपने दिल की बाते शेयर करें। इनके प्रोत्साहन से आपको पॉज़िटिव महसूस होगा।
और भी पढ़िये : अपने अंदर के क्रोध पर पायें काबू
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।