कहते हैं कि जब आप किसी से अपनी तुलना करने लगते हो, तो मन में असंतोष पैदा होता है। यह हम सभी जानते है कि मेहनत करने और फोकस रहने से ही सफलता मिलती है। इसलिये दूसरों से तुलना करने की बजाय अपना काम करते रहना चाहिये। हालांकि हेल्दी कॉम्पिटिशन प्रोत्साहित करता है, लेकिन कब ये मोटिवेशन से पर्सनल कॉम्पिटिशन में बदल जाता है, पता ही नहीं चलता।
क्या सिखाती है यह कहानी ?
रोज़ की तरह सुबह राहुल जॉगिंग करने पार्क गया, तो उसने देखा कि एक आदमी भी जॉगिंग कर रहा है और वह राहुल से करीब आधा किलोमीटर दूर था। बस फिर क्या था, राहुल ने धीरे-धीरे दौड़ाने की अपनी स्पीड बढ़ानी शुरु कर दी। वह व्यक्ति धीरे दौड़ रहा था, इसलिये कुछ ही देर में राहुल उसके करीब पहुंच गया। राहुल को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था कि उसने देर से दौड़ना शुरु किया और जल्दी ही पहले से दौड़ने वाले व्यक्ति के पास पहुंच गया।
बस कुछ समय बाद राहुल ने उस व्यक्ति को भी पछाड़ दिया। राहुल को जीतने वाली फीलिंग हो रही थी, हालांकि उस दूसरे व्यक्ति को तो मालूम भी नहीं होगा कि राहुल उससे कॉम्पिटिशन कर रहा था।
फिर क्या हुआ?
इस अनकही रेस के कारण राहुल अपने घर की तरफ जाने वाला मोड़ भूल गया। इस वजह से उसे दूसरे रास्ते से वापस घर जाना पड़ा और देर होने के कारण अब उसकी खुशी चिड़चिड़ाहट में बदल गई। राहुल के मन की शांति खो चुकी थी, जो समय उसे आसपास की प्राकृतिक खूबसूरती देखने में बिताना चाहिये था या मेडिटेशन में बिताना था, वह किसी दूसरे व्यक्ति से आगे निकलने की होड़ में गंवा दिया। इतना ही नहीं, ज़रूरत से ज़्यादा तेज़ दौड़ने की वजह से राहुल कई बार लड़खड़ाया और गिरते गिरते बचा।
कुछ ऐसा ही जीवन में होता है
जब हम अपने आसपास के लोगों के साथ खुद की तुलना करते हैं और खुद को उनसे बेहतर और सफल दिखाने की कोशिश करते हैं, तो खुद की खुशियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
दूसरों को पछाड़ने के चक्कर में अपना रास्ता भूल जाते हैं। यह कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है। इससे जितना हो सके, बचना चाहिये।
करें अपनी सोच सही
– जीवन में कभी किसी से तुलना न करें।
– अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करें।
– आप जैसे दिखते है, उस पर गर्व करें।
– हेल्दी कॉम्पिटिशन रखें, लेकिन कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश न करें।
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