अगर आप साल के आखिरी महीने को किसी मज़ेदार तरीके से अलविदा कहना चाहते हैं, तो भारत में हर महीने के लिए कोई ना कोई खास जगह ज़रूर है। आज हम आपको कुछ ऐसी जगहों के बारे में बता रहे हैं जहां दिसंबर के महीने में उत्सवों का आयोजन और एडवेंचर का मज़ा लिया जा सकता है।
गुजरात: रण उत्सव
गुजरात की रंग-बिरंगी संस्कृति देखनी और समझनी हो, तो कच्छ के रण उत्सव ज़रूर जाएं। यहां आपको पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अनोखा संगम मिलेगा। कच्छ के रेगिस्तान में आयोजित होने वाला यह उत्सव दिसंबर से शुरू होता है और मार्च तक चलता है। इस उत्सव में आप गरबा नृत्य समेत कच्छ की लोकसंस्कृति से जुड़े कार्यक्रम का आनंद ले सकते हैं।
ओडिशा: कोणार्क नृत्य उत्सव
सूर्य मंदिरों के लिए सबसे प्रसिद्ध ओडिशा का कोणार्क दिसंबर में घूमने का बेहतरीन स्पॉट है। पुरी से कोणार्क की दूरी महज 35 किलोमीटर दूर है और रेल या सड़क मार्ग से भी यहां पहुंचना बहुत आसान है। हर साल दिसंबर में कोणार्क नृत्य उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव में ओडिसी, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी और कत्थक जैसी नृत्य कलाएं देख सकते हैं। इस उत्सव में दुनिया भर से कलाकार शामिल होते हैं।
राजस्थान: माउंट आबू विंटर फेस्टिवल
माउंट आबू की हसीन वादियों में नए साल का स्वागत करने को 29 से 31 दिसंबर तक तक विंटर फेस्टिवल मनाया जाता है। इस उत्सव में रंग-बिरंगी परंपरागत वेशभूषा में कलाकार लोकनृत्य और संगीत की रंगारंग झांकी प्रस्तुत करते हैं। शाम-ए-कव्वाली और आतिशबाजी इस फेस्टिवल का खास हिस्सा हैं। घूमर, गैर और धाप जैसे लोक नृत्यों के साथ डांडिया नृत्य भी होते हैं। इस दौरान नक्की झील में बोट रेस का आयोजन भी किया जाता है।
गोवा: सनबर्न फेस्टिवल
दुनिया में संगीत प्रेमियों के लिए गोवा का सनबर्न फेस्टिवल आकर्षण का केंद्र रहा है। गोवा में दिसंबर में आयोजित होने वाले इस फेस्टिवल में समुद्र किनारे नृत्य-संगीत का मनमोहक माहौल पर्यटकों को आकर्षित करता है। गोवा के कैंडोलिम बीच पर यह हर साल आयोजित होता है।
तमिलनाडु: ममल्लपुरम डांस फेस्टिवल, चेन्नई
चेन्नई से 58 किमी दूर ममल्लपुरम अपने तटीय मंदिर के लिए जाना जाता है। यहां खुले आसमान के नीचे एक से बढ़कर एक शास्त्रीय नृत्यों का प्रदर्शन किया जाता है। 27 दिसंबर से शुरू होने वाला यह फेस्टिवल 26 जनवरी तक चलता है। इस उत्सव में पर्यटकों को भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथकली, ओडिशी आदि कई शास्त्रीय और लोकनृत्य देखने को मिलते हैं।
पश्चिम बंगाल: विष्णुपुर महोत्सव, बांकुड़ा
पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के विष्णुपुर गांव में 27 से 31 दिसंबर तक यह उत्सव मनाया जाता है। यह शहर सिल्क की साड़ियों और टेराकाटा मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। इस महोत्सव में कथा, नृत्य, नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। स्थानीय हस्तकलाओं की बिक्री और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम इस महोत्सव के प्रमुख आकर्षण हैं।
केरल: कोच्चि कार्निवाल
‘क्वीन ऑफ द अरेबियन सी’ के नाम से मशहूर कोच्चि को कोच्चि बीच कार्निवाल के रूप में जाना जाता है। समुद्र किनारे हर साल 25 दिसंबर से एक जनवरी तक यह बीच महोत्सव मनाया जाता है। इसमें कथकली और मोहिनीअट्टम नृत्य प्रदर्शित की जाती है। कोच्चि कार्निवाल के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां का रुख करते हैं।
लेह लद्दाख: गलदान नामचोट
गल्दान नामचोट भारतीय त्योहारों की सूची में सबसे ग्लैमरस में से एक है। यह लद्दाख में नए साल के आगमन और तिब्बती संत-विद्वान, त्सोंगखपा के जन्मदिन और बुद्धत्व का प्रतीक है। सभी मठों और विरासत भवनों को सजाया जाता है क्योंकि स्थानीय लोग नृत्य और संगीत के साथ त्योहार का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कोहिमा, नागालैंड : हॉर्नबिल फेस्टिवल
हॉर्नबिल फेस्टिवल दिसंबर में भारत में मनाए जाने वाले सबसे आकर्षक त्योहारों में से एक है। समारोह में राज्य के पारंपरिक योद्धा जनजातियों द्वारा लोक नृत्य, गीत और प्रदर्शन शामिल हैं। कोहिमा से 12 किमी कीमा गांव में मनाया जाने वाला यह त्योहार स्थानीय विरासत, भोजन, संस्कृति, हस्तशिल्प, हथकरघा और खेल का प्रदर्शन होता है।
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