यदि आपसे पूछे कि आपने लास्ट टाइम कब डांस किया था, तो शायद आपका जवाब होगा कि किसी फंक्शन या फिर फिटनेस क्लास में। अगर इन जवाबों पर ध्यान दिया जाये, तो आपको समझ आ जायेगा कि डांस मनोरंजन के साथ-साथ फिट रहने का भी एक ज़रिया है। लेकिन क्या आपको पता है कि जिस तरह हर भाषा के रुल्स होते हैं, ठीक उसी तरह डांस के भी कई फॉर्म्स होते हैं और उन सभी के अलग-अलग रूल्स होते हैं।
आज हम आपको भारत के अलग-अलग शास्त्रीय नृत्य के बारे में बताने जा रहे हैं।
भरतनाट्यम
यह डांस फॉर्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु से संबंध रखती है। इसे पौराणिक पुजारी भरत ने प्राचीन ग्रंथ नाट्यशास्त्र में लिखा था। मूल रूप से यह महिलाओं के लिए मंदिर में किया जाने वाला डांस है। अक्सर भरतनाट्यम का उपयोग हिंदू धार्मिक कहानियों और भक्ति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इस डांस की विशेषता झुके हुए पैर और हाथों से किये जाने वाले भाव होते हैं।
कथकली
यह डांस फॉर्म केरल और उसके आस-पास दक्षिण-पश्चिमी भारत से आता है। यह भी एक धार्मिक नृत्य है, जो रामायण और शैव परंपराओं की कहानियों से प्रेरणा लेता है। इस नृत्य को आमतौर पर लड़के करते हैं, और महिलाओं का रोल भी वही करते हैं। कथकली की ड्रेस और मेक-अप काफी ब्राइट और बड़े होते हैं।
कथक
उत्तर भारत की यह नृत्यशैली प्यार को दर्शाती है। इसे पुरुष और महिलाएं, दोनों करते हैं। कथक में घुंघरुओ का काफी महत्व होता है और चेहरे के भाव बॉडीलैंग्वेज के हिसाब से बनाये जाते हैं। इसको पेशेवर कहानीकारों ने जन्म दिया था, जो किसी भी कहानी को पेश करने के लिए नृत्य, गाने और नाटक का इस्तेमाल करते थे। दूसरी शैलियों की तरह यह भी मंदिरों में किया जाता था, लेकिन बाद में इसे राजाओं के घरों में पेश करना शुरु कर दिया गया था।
मणिपुरी
मणिपुरी नाम से ही पता चल जाता है कि यह नृत्य उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर से आता है। इस नृत्य के दौरान भगवान कृष्ण के जीवन के कुछ पलों को दर्शाया जाता है। इसमें ताल से ज़्यादा भावों की खूबसूरती को महत्व दिया जाता है। महिलायें हाथों को काफी सुंदरता से बनाकर कहानी व्यक्त करती हैं, जबकि पुरूष बलशाली प्रदर्शन करते हैं। इस नृत्य के साथ बैक ग्राउंड में जाप या भजन चलता हैं।
ओडिसी
यह नृत्य ओडिशा से आता है और मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है। ओडिसी को शास्त्रीय नृत्यों में से सबसे पुराना माना जाता है। यह काफी मुश्किल डांस फॉर्म है, जिसमें मंदिर की मूर्तियों को दर्शाया जाता है और इसमें पचास से ज़्यादा मुद्राओं का इस्तेमाल किया जाता है।
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