अक्सर देखने को मिलता है कि लोग खुद की तुलना दूसरों से करने लगते है। अगर सामने वाला व्यक्ति ज्यादा कामयाब हैं और उससे तुलना करके न सिर्फ खुद को निराशा महसूस होती है, बल्कि आत्मविश्वास भी डगमगाने लगता है। तो, बेहतर है कि खुद की तुलना किसी से भी मत कीजिए और अपने ज्ञान व मेहनत पर विश्वास रखें।
खुद को करें जज
जब आप अपनी क्षमता को जाने बिना सिर्फ अपनी कमियों के बारे में सोचते हैं, तो इससे गलत अनुभवों के साथ परेशानियां भी मिलती हैं। यह आपको जीवन के अनमोल पहलुओं का आनंद लेने से रोकती है। अगर आप तुलना जैसे इमोशन्स से बाहर निकल जाते है, तो इसका मतलब है कि आप अपनी ताकत, टैलेंट और अचीवमेंट्स पर फोकस कर रहे हैं और इससे आपका आत्म-सम्मान भी बढ़ता है।
अपनी खूबियों का करें विकास
यह समझना बहुत जरूरी है कि कभी भी दो लोग बिल्कुल एक जैसे नहीं होते हैं, इसलिए उनका जीवन और अनुभव भी समान नहीं हो सकता हैं। ऐसे में तुलना करने का प्रश्न ही नहीं उठता और इससे बेहतर है कि आप अपनी खासियत को स्वीकार कर उसका विकास करें।
अपने अस्तित्व को स्वीकार करें
दूसरों से तुलना करने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे आप अपनी सोचने और समझने की आज़ादी खो देते हैं। इससे बेहतर है कि आप जो हैं, उसे स्वीकार करें। इससे आपका आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है, जो आपको सफल होने की दिशा दिखाता है।
भौतिकता के पीछे न भागें
आप अपने जीवन को किस ओर लेकर जाना चाहते हैं, इसे आप ही तय कर सकते हैं। आप ही अपने जीवन के सारे निर्णय लेते हैं और ये सब आप अपने लिए करते हैं, न कि दूसरों के लिए। अन्य लोगों के पास क्या है, या क्या नहीं है, यह सब कोई मायने नहीं रखता। यदि आप की ज़िंदगी में कुछ मायने रखता है, तो वह हैं आप, क्योंकि कोई बाहरी तत्व आपको खुश नहीं कर सकता है।
सोशल मीडिया को करें सीमित
आजकल लोगों का काफी समय सोशल मीडिया पर बीतने लगा है। यहां दूसरों की उपलब्धियों या सैर सपाटे की तस्वीरें देखकरआप में हीन भावना भरने लगती हैं। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो आप अपने दोस्तों की तस्वीरें देखने की बजाय ज्ञानवर्धक साइट्स देखें। सबसे जरूरी बात यह है कि सोशल मीडिया को समझें और इसका इस्तेमाल सीमित करें।
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