सरहद पर हर पल मुस्तैद रहने वाले सैनिकों और उनके परिवार का हर देशवासी को सम्मान करना चाहिए क्योंकि ये सैनिक अपना सब कुछ देश पर न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं। देश की सेवा के लिए वे न सिर्फ अपने घर-परिवार से दूर रहता है, बल्कि देश की हिफाज़त के लिए कुर्बान भी हो जाता है। सूरत का एक सुरक्षा गार्ड पिछले कई सालों से पत्र लिखकर शहीदों के प्रति आभार व्यक्त कर रहा है।
18 साल से लिख रहे खत
सूरत के रहने वाले जितेंद्र सिंह ने देशभक्ति की अनोखी मिसाल पेश की है। कारगिल युद्ध के बाद से ही वह शहीदों के परिजनों को आभार व्यक्त करते हुए पत्र लिख रहे है। वह ऐसा सिर्फ इसलिए कर रहे है ताकि उनके लिखे पत्र पढ़कर शहीदों के परिजनों को थोड़ा अपनेपन का एहसास हो और उनके चेहरे पर कुछ पल के लिए मुस्कुराहट आ जाए।
सेना से खास रिश्ता
जितेंद्र का सेना से बहुत गहरा रिश्ता है। जितेंद्र के परिवार के कई लोग सेना में है और वह खुद भी सेना में जाना चाहते थे, लेकिन सफल नहीं हो पाए। दस हज़ार की नौकरी करने वाले जितेंद्र ने अपने छोटे से घर के एक कोने को ही राइटिंग कॉर्नर बना लिया है और यही पर करीब 38,000 शहीदों के परिवार के पते और लेखन सामग्री का ढ़ेर है। उनकी कोशिश है कि सभी 38,000 शहीदों के परिवार तक वह अपना आभार संदेश पहुंचाएं। जितेंद्र का मानना है कि बहुत से ऐसे परिवार है, जो अपना बेटा, पति, पिता खोकर दुख में डूबे हुए हैं। ऐसे परिवार को खत लिखकर वो उन्हें यह एहसास दिलाना चाहते हैं कि कोई है, जो उन्हें याद करता है।
ऐसे जुटाई जानकारी
इतनी बड़ी संख्या में शहीदों के परिवार की जानकारी जुटाना आसान नहीं था। जितेंद्र ने पहले आर्मी हेडक्वार्टर से संपर्क किया, लेकिन वहां से मदद नहीं मिली। इसके बाद अखबार और अन्य माध्यमों के ज़रिए शहीदों के पते जुटाए। जितेंद्र के मन में शहीदों के लिए बहुत सम्मान है। जितेंद्र का कहना है कि आज हम सब यदि सुरक्षित हैं और लोकतंत्र का आनंद ले रहे हैं, तो सिर्फ हमारे सैनिकों की वजह से संभव हुआ है। इसलिए हर देशवासी को सैनिकों का आभारी होना चाहिए।
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