समय बदलने के साथ-साथ महिलाएं हर क्षेत्र में अपना दम और हुनर दिखाकर एक नया इतिहास रच रही हैं। कुछ ऐसी ही महिलाएं जिन्होंने न सिर्फ देश का नाम रोशन किया है, बल्कि पहली महिला होने का सम्मान भी पाया है।
अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहना सिंह

छोटे से कस्बे से संबंध रखने वाली अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहना सिंह ने देश की पहली महिला फाइटर पायलट होने का मुकाम हासिल किया है। पहले भारतीय वायुसेना में महिलाओं को फाइटर प्लेन चलाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अनुमति मिलते ही तीनों ने पहली महिला फाइटर पायलट होने का गौरव प्राप्त कर लिया।
तानिया शेरगिल

कैप्टन तानिया शेरगिल का जन्म पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। सेना दिवस और गणतंत्र दिवस पर पुरुष परेड का नेतृत्व कर इतिहास रचने वाली यह पहली महिला अधिकारी है। वह अपने परिवार की चौथी पीढ़ी हैं, जो देश सेवा में जुटी है।
गगनदीप कांग

बॉयोलॉजिस्ट और वैज्ञानिक गगनदीप कांग को भारत की ‘वैक्सीन गॉडमदर’ के रूप में पहचान मिली है। गगनदीप विज्ञान में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने वाले विश्व के सबसे पुराने वैज्ञानिक संस्थान ‘वैज्ञानिक रॉयल सोसाइटी’ द्वारा चुनी जाने वाली पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक है। भारत में डायरिया जैसे रोगों और पब्लिक हेल्थ पर कार्य किया है। रोटावायरस महामारी पर शोध करके उस पर बनाई गई वैक्सीन में उनका सराहनीय योगदान है।
जीएस लक्ष्मी

क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब कोई महिला मैच रेफरी बनी है। भारत की जीएस लक्ष्मी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) इवेंट की पहली महिला रेफरी है। उन्होंने आईसीसी पुरुष टी-20 वर्ल्ड कप क्वालिफायर 2019 के लीग चरण में मैच रैफरी की भूमिका निभाई थी। लक्ष्मी आंध्र प्रदेश की रहने वाली है और उन्हें बचपन में भाई के साथ क्रिकेट खेलते समय गेंदबाजी करने में मज़ा आने लगा। बाद में उन्होंने इसे कैरियर के तौर पर चुन लिया।
हिमा दास
असम की किसान परिवार में जन्मी हिमा दास को असम की डीएसपी होने का खिताब भी मिला है। वह आईएएएफ वर्ल्ड अंडर 20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप के महिला 400 मीटर फाइनल में खिताब के साथ विश्व स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनी है। पुलिस में नौकरी मिलने का श्रेय वह अपने खेल को देती है और वह इसमें आगे भी बेहतरीन प्रदर्शन करने की उम्मीद रखती है।
गीता गोपीनाथ

गीता का जन्म पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था। गीता ने अपनी पीएचडी की पढ़ाई साल 2001 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स में की। जिसके बाद वो वहीं प्रोफेसर के पद पर काम करने लगी। उनकी काबिलियत को देखते हुए इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री के तौर पर जिम्मेदारी दी गई। इस पद को संभालने वाली पहली भारतीय महिला बनी है।
अगर मन में भरोसा और कुछ कर दिखाने का ज़ज़्बा हो, तो चाहे क्षेत्र कोई भी क्यों ना हो। मंजिल तक पहुंचने का रास्ता आसान हो ही जाता है। ऐसी महिलाओं को हमारा सलाम!
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