हर साल लाखों लोग मात्र इस वजह से मौत के मुंह में समा जाते हैं क्योंकि उन्हें कोई ऑर्गन डोनर नहीं मिल पाता। कभी ऑर्गन फेलियर, तो कभी एक्सीडेंट्स के कारण ऑर्गन ट्रांसप्लांट करना ज़रूरी हो जाता है और उसके बाद जान भी बच जाती है। बहुत कुछ ऐसी ही घटना पिछले दिनों इंदौर में देखने को मिली, जहां ब्रेन डेड घोषित 36 वर्षीय महिला हर्षिता कौशल के ऑर्गन्स से इंदौर और मुंबई के चार ज़रूरतमंद मरीज़ों को नई ज़िंदगी मिल गई।
आंखें, किडनी, लीवर और लंग्स किए दान
महिला की दोनों आंखें, लीवर, हार्ट, किडनी और लंग्स को डॉक्टर ट्रांसप्लाट कर सकते थे। इसलिए महिला की दोनों किडनी, लीवर और दोनों लंग्स ज़रूरतमंद मरीज़ों के शरीर में ट्रांसप्लांट किए गए। मुंबई की 27 वर्षीय महिला को दिल और फेफड़े दिए गए, वहीं इंदौर के सीएचएल में 57 वर्षीय व्यक्ति में लीवर ट्रांसप्लांट किया गया। यह मरीज 1984 से एनएएसएच से पीड़ित था। इसके अलावा 30 साल के युवक को एक किडनी ट्रांसप्लांट की गई, तो दूसरी किडनी बॉम्बे अस्पताल में भर्ती 66 वर्षीय महिला को ट्रांसप्लांट की गई। जबकि, महिला की आंखें एमके इंटरनेशनल आई अस्पताल में दान दी गईं।
ब्रेन हैमरेज की शिकार हुई थी हर्षिता
हर्षिता कौशल 17 दिसंबर की रात ब्रेन हैमरेज के कारण अचानक बेहोश हो गई थी। परिवार वालों ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन लगातार इलाज के बावजूद उसकी हालत में कोई सुधार नहीं आया, तो डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया। इसके बाद हर्षिता के परिजनों ने खुद आगे आकर उसके अंगदान की इच्छा जताई, क्योंकि हर्षिता ने अपने परिवार से पहले ही अंगदान की बात कही थी।
पिता की मौत के बाद लिया था प्रण
दरअसल, हर्षिता के पिता की मौत भी किडनी फेलियर के कारण हुई थी और उस समय चूंकि ऑर्गन डोनेट करने संबंधी अवेयरनेस काफी कम थी, सो हर्षिता के पिता को भी कहीं से दूसरी किडनी प्राप्त नहीं हो पाई थी। पिता की मौत के बाद ऑर्गन डोनेशन जैसी खबरों ने हर्षिता को इस नेक काम के लिए प्रेरित किया था और आखिरकार चार लोगों को नई ज़िंदगी देकर हर्षिता ने खुद को अमर कर लिया।
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