हर बार हम पढ़ते हैं कि प्लास्टिक को रिसाइकल करना ज़रूरी है लेकिन भारत में प्लास्टिक की रिसाइकलिंग कितनी हो रही है, ये जानना और फिर उस पहल से जुड़कर काम करना भी उतना ही ज़रूरी है। इसी तरह की कुछ पॉज़िटिव सोच के साथ आई है बिसलेरी, अपनी नई पहल लेकर ‘बॉटल्स फॉर चेंज’
क्या प्लास्टिक सच में एक समस्या है?
देखा जाये, तो प्लास्टिक समस्या नहीं है। समस्या प्लास्टिक के कैसे निपटाया जाए, उस तरीके से है। प्रदूषण का सिलसिला तब शुरू हुआ, जब काम में आने के बाद प्लास्टिक के बैग्स को कचरे में जहां-तहां फेंक दिया जाता था और ये सिस्टम आज तक चल रहा है। बायोडिग्रेडेबल न होने के कारण ये धरती में लगातार प्रदूषण बढ़ा रहा है।
‘बॉटल्स फॉर चेंज’ पहल
इसी समस्या को समझते हुए बिसलेरी कंपनी ने ‘बॉटल्स फॉर चेंज’ पहल की शुरूआत की। लोग इसे अच्छे से समझे और साथ ही लोगों का मनोरंजन भी हो, इसलिए कंपनी ने नुक्कड नाटक किया। बारिश के दिनों में प्लास्टिक की थैलियां मुम्बई की रफ्तार को धीमा कर देती है। इसी को सोचते हुए नुक्कड नाटक किया गया ताकि लोगों को समझाया जाएं कि प्लास्टिक की रिसाइकलिंग होना ज़रूरी है। नाटक में बताया गया कि प्लास्टिक को बेकार न समझें, इस्तेमाल के बाद भी इसे साफ करके इकट्ठा करें और सीधे रिसाइकलिंग के लिए भेजें।
कैसे करते हैं रिसाइकलिंग
प्लास्टिक को टुकड़ों में तोड़ा जाता है और रिसाइकलिंग कंपनियों को दिया जाता है। फिर इसे गुच्छे में बदलकर इसका इस्तेमाल कपड़े की थैली, हैंड बैग, टीशर्ट जैसी चीज़ें बनाने के लिए किया जाता है।
रिसाइकलिंग से होंगे कई फायदे
- इस पहल से काफी ज़्यादा प्लास्टिक इकठ्ठा करने में मदद मिलेगी, साथ ही कचरा बीनने वालो को अच्छी आमदनी होगी।
- इकठ्ठा किए गए प्लास्टिक को छांटकर रिसाइकलिंग के लिए भेजा जायेगा।
- पर्यावरण को साफ करने में मदद मिलेगी।
तो इस गणतंत्र दिवस पर आप भी प्लास्टिक को इकट्ठा करके उसे ऐसी संस्थाओं में देकर अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं।
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