दुनियाभर के देशों ने अपील की है कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है। ऐसे में इसका उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है और इसी वजह से प्रदूषण का खतरा भी उतना ही तेजी से बढ़ता जा रहा है। लोग मास्क का इस्तेमाल कर इसे इधर-उधर खुले में फेंक रहे हैं। इससे न सिर्फ संक्रमण बढ़ने का खतरा है बल्कि समुद्री जीवों और जानवरों के मास्क खा लेने से उनका जान जाने का रिस्क भी बढ़ गया है।
दोबारा इस्तेमाल करने वाले मास्क
सिंगल यूज़ मास्क या फिर सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल कम से कम करें। अगर आप ऐसे मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसे किसी कागज़ में बांधकर कूड़ेदान में फेंके। खुले में मास्क फेंकना संक्रमण को बढ़ावा देना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस तरह के मास्क को पारम्परिक तरीकों से रिसाइकल नहीं किया जा सकता। इसलिए आप वही मास्क खरीदें, जिन्हें दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं।
कपड़े के मास्क
कई स्वास्थ्य एजेंसियां ये कह चुकी है कि कपड़े का मास्क कोरोना से बचाव के लिए काफी है। इसे अच्छे तरीके से साबुन और गर्म पानी से धोकर सुखाने के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा और सूती कपड़े को आसानी से रिसाइकल किया जा सकता है।
वोकल फॉर लोकल
देश में कई छोटी-छोटी कंपनियां और आम लोग घर में सूती कपड़े के मास्क बनाकर बेच रहे हैं। एक तो ये काफी सस्ते हैं और दूसरा इससे लोगों को रोज़गार मिल रहा है। ऐसे कई छोटे बड़े कारीगर है, जो मास्क बना रहे हैं। हाल ही में बिहार के रमन कुमार काफी चर्चा में आए थे, जो 50 रूपये में मधुबनी पेंटिंग के मास्क बनाकर बेच रहे हैं। आप भी अपने आसपास लोकल कारीगरों से मास्क खरीद सकते हैं। बस इस्तेमाल करने से पहले उसे अच्छी तरीके से धोकर धूप में सुखा लें।
हाथ करें बार-बार साफ
मास्क की तरह ही प्लास्टिक और लेटेक्स के बने दस्तानों की वजह से भी पर्यावरण को नुकसान झेलना पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दस्ताने पहनने की बजाय अच्छी तरीके से हाथ धोना ज़्यादा सुरक्षित है। इसलिए मास्क पहनने से पहले और मास्क उतारने के बाद और दिन में साबुन से हाथ धोना बेहतर उपाय है।
पर्यावरण फ्रेंडली मास्क और पीपीई किट बनाने की कोशिश
कार बनाने वाली कंपनी फोर्ड ऐसे गाउन बनाने पर रिसर्च कर रही है, जिसे कम से कम 50 बार पहना जा सके ताकि पर्यावरण को प्लास्टिक के कचरे से बचाया जा सके।
कई कंपनियां ऐसी पीपीई किट बनाने पर रिसर्च कर रही है, ताकि मेडिकल प्रोफेशनल्स इसे दोबारा इस्तेमाल कर सकें।
थोड़ी सी सावधानी से हम पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं, तो आइये संकल्प लेते हैं कि जीवन में ये छोटे-छोटे कदम उठाएंगे।
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