किसी भी प्रथा के खिलाफ लड़ाई आसान नहीं होती, खासतौर से जब लड़ाई उन लोगों के साथ हो, जो रूढ़िवादी रीतियों से जकड़े हुये हो। लेकिन राजस्थान के अलवर जिले की पायल जांगीड़ (17 साल) ‘बाल विवाह’ की कुप्रथा के खिलाफ एक जंग लड़ रही हैं। इसका ऐलान उन्होंने तब किया जब उनके माता-पिता ने उन्हें 11 साल की कम उम्र में शादी करने के लिये कहा। यह युवा कार्याकर्ता बाल विवाह जैसी समाजिक बुराई के खिलाफ लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए एक घर-घर जाती रही हैं। गांव के हर घर और आस-पास के दूसरे गांवों तक जाने के लिए वह अपनी मां के साथ जाती थीं।
मिली नई पहचान
पहली भारतीय बनी पायल को गोलकीपर्स ग्लोबल गोल्स अवॉर्डस 2019, न्यूयॉर्क में ‘चेंजमेकर अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार हिंसला और दूसरे पास के गांवों में बाल विवाह को खत्म करने के प्रयास के लिये दिया गया। इसी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ ने सम्मानित किया। पुरस्कार मिलने के बाद पायल ने कहा कि यह तो बस शुरुआत है और उन्होंने सभी लोगों का शुक्रिया किया, जिन्होंने उनकी इस कोशिश में मदद की। पायल पूरी दुनिया से बाल विवाह और बाल श्रम को खत्म करना चाहती हैं।
बाल पंचायत की सरपंच हैं पायल
पायल अपने गांव हिंसला के बाल पंचायत की सरपंच हैं। यह गांव ‘बाल मित्र ग्राम’ है, जो नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का कॉंसेप्ट है। पायल उन चाइल्ड एक्टिविस्ट्स में से एक हैं, जिन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और पत्नी मिशेल से साल 2015 में मिलने का अवसर मिला था, जब वे भारत आये थे।
समाजिक कुप्रथाओं से दूर ‘कदम बढ़ाओ सही’
– शुरुआत छोटे-छोटे कदमों से होती है, कदम बढ़ायें।
– अपने आसपास की बुराई को देखकर नज़रअंदाज़ न करें। उन्हें वहीं खत्म करने की पहल करें।
– सबसे पहले अपने अंदर झांकें, और अपने अंदर की बुराई को खत्म करें।
इमेज : लाइववायर
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