यूं तो देखा गया है कि भारतीय पैरामिलिट्री फोर्स की बागडोर पुरूषों के पास ही रही है लेकिन आईपीएस अधिकारी अर्चना रामासुंदरम ने इस परंपरा को तोड़कर नया इतिहास बनाया है। अर्चना ने सशस्त्र सीमा बल के डॉयरेक्टर जनरल की कमान संभाली हैं। वह देश में अर्धसैनिक बलों का नेतृत्व करने वाली पहली महिला प्रमुख बन गईं। उनकी ज़िम्मेदारी न सिर्फ भारत-नेपाल और भारत-भूटान की सीमाओं की रक्षा करना हैं बल्कि बार्डर पर रहने वाले लोगों की सुरक्षा करने के साथ साथ अपराधों से निपटना भी हैं।
कौन है अर्चना रामासुदंरम?
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की रहने वाली अर्चना रामासुंदरम तमिलनाडु कैडर 1985 बैच की महिला आइपीएस ऑफिसर रह चुकी हैं। हालांकि उनका पेशा काफी सख्त मिजाज़ का है, इसके बावजूद स्वभाव से वह बहुत विनम्र व्यवहार की महिला हैं। वह कहती हैं कि स्वभाव कभी उनके काम में अड़चन नहीं बना।
पिता से मिला प्रोत्साहन
एक समय था, जब लड़कियों के लिए शिक्षा एक सपना था, तब अर्चना रामसुंदरम के पिता ने उन्हें शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया और साथ ही उन्हें खुद पर भरोसा रखने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। फिलहाल तो अर्चना के पिता जज के पद से रिटायर हो चुके है लेकिन जज रहने के दौरान उनका रोज़ाना पुलिस से मिलना-जुलना रहता था। वह पुलिस के काम से बेहद प्रभावित थे और उन्हें पुलिस की वर्दी से बेहद प्यार था और उनका यही प्यार अर्चना को भी मिला।
आईपीएस बनने का सपना
बचपन में ही अर्चना ने सोच लिया था कि वह आईएएस और आईपीएस बनेंगी। उन्हें कभी पैसा कमाने का चाहत नहीं रही क्योंकि वह हमेशा कुछ अलग करना चाहती थी। अर्चना ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से इकोनोमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद अर्चना की पोस्टिंग बतौर आईपीएस अफसर तमिलनाडु कैडर में हुई।
चुनौतियों का सामना
हैदराबाद पुलिस अकादमी में अर्चना अपने बैच में अकेली लड़की थी। इसके साथ ही अर्चना के सामने भाषा की भी चुनौती थी क्योंकि तमिल भाषा समझना आसान नहीं था लेकिन ट्रेनिंग व राज्य परीक्षाओं ने उनकी बहुत मदद की।
बैच में अकेली महिला होना भले ही शुरूआत में दिक्कतभरा था लेकिन अर्चना को महिला होने का फायदा भी मिला। इस बारे में उन्होंने कहा कि जिला ट्रेनिंग के दौरान गांव की महिलाएं उन्हें बेहद आदर व सम्मान के साथ सुनती थी और जिले में जब भी कानून व्यवस्था की बात आती थी, तो पब्लिक पुरूष साथियों के मुकाबले मेरी बात मान लेती थी।
अर्चना ने सशस्त्र सीमा बल पर अपनी नियुक्ति को भारत की सभी महिलाओं को डेडिकेट किया हैं और उन्हें विश्वास दिलाने की कोशिश की है कि अगर महिलाएं कुछ करने का ठान लें, तो फिर पीछे नहीं हटती।
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