अक्सर हम यह देखते है कि एक ही क्लास में कुछ बच्चे बहुत होशियार होते है, तो कुछ बच्चों का पढ़ाई या किसी भी तरह की एक्टिविटी करने में कोई रूचि नहीं होती। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
तो इसका जवाब है कि पैरेंटिंग स्टाइल, जी आप अपने बच्चे को क्या सिखाते है और कैसे बिहेव करते है। इन सभी बातों का असर बच्चों की परवरिश और उनके बिहेवियर पर पड़ता है। हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और लेखक रोनाल्ड फर्ग्यूसन की रिसर्च के अनुसार पैरेंटिंग स्टाइल से बच्चों के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
जानिये कैसे आप अपने पैरेंटिंग स्टाइल में बदलाव ला सकते है-
शुरुआती शिक्षा
लेखक रोनाल्ड फर्ग्यूसन के अनुसार जो माता-पिता अपने बच्चों को प्ले स्कूल भेजने से पहले उनमें कुछ न कुछ सिखाने की आदत डालते है। उनके बच्चों का स्कूल में पॉज़िटिव बिहेव रहता है।
खेल-खेल में सीखना
बच्चे अपने आसपास मौज़ूद हर चीज़ से कुछ न कुछ सीखने की कोशिश में जुटे रहते हैं। चीज़ें उठाना और उन्हें तोडऩा-गिराना जैसी हरकतों को अनुशासनहीनता समझकर उन्हें रोकने की कोशिश न करें। दरअसल इसी बहाने वे बहुत कुछ सीख रहे होते हैं।
जो बनना चाहते है, बनने दें
बच्चों को अपनी समझ के हिसाब से ढ़ालने की कोशिश न करें। ज़रूरी नहीं है कि आपने अपनी ज़िंदगी में जो किया, वही आपका बच्चा भी करें। बच्चों की जिस फील्ड में दिलचस्पी है, उन्हें वही करने के लिये प्रेरित करें।
कामयाबी का रास्ता
छोटे-छोटे कामों के बहाने उन्हें कामयाबी की अहमियत समझायें। शुरुआत में उन्हें कोई भी ज़िम्मेदारी सौंप दें। जैसे कि स्टडी टेबल को सही ढंग से रखना, पौधों को पानी देना, मैथ्स के सवाल हल करना, अपनी हैंडराइटिंग सुधारना आदि। काम चाहे छोटा हो या बड़ा, अगर आपका बच्चा उसे सही ढंग से पूरा करने की कोशिश करता है, तो उसके इस कोशिश की सराहना ज़रूर करें।
उनकी बातों को सुनें
परिवार से जुड़े छोटे-छोटे फैसलों पर बच्चों की राय लें। लंच या डिनर का मेन्यू क्या हो, वीकेंड पर कहां घूमने जायें या उनके कमरे की दीवारों का रंग कैसा हो जैसे विषयों पर उनकी सलाह ज़रूर मांगे। इससे उन्हें लगेगा कि उनके सुझावों को अहमियत दी जा रही है। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
यह भी है ज़रूरी
बच्चे की पढ़ाई का एक निश्चित समय तय करें। अगर उसे स्कूल से कोई होमवर्क न मिला हो, तब भी उसे सेल्फ स्टडी के लिये प्रेरित करें। उनके साथ रोज़ाना बात करें और उनके कामों की तारीफ करें।
इन छोटी – छोटी बातों से बच्चे बहुत कुछ सीख जाते है, जो उन्हें सफलता की मंज़िल तक पहुंचाती है।
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