कहते है सीखने और कुछ करने की कोई उम्र नहीं होती। खेलकूद और किताब पढ़ने की उम्र में ये छोटे- छोटे बच्चे ऐसा काम कर जाते हैं, जो कभी किसी ने सोचा न होगा। जो उम्र खेलकूद, किताबों और कहानियों के बीच गुज़रती है, उस उम्र में बच्चों ने लोगों को सेवाभाव करने की प्रेरणा दी है।
एम नेत्रा – चेन्नई
13 साल की एम नेत्रा मदुरै की रहने वाली है और उनके पिता एक सैलून चलाते हैं। एम नेत्रा ने लॉकडाउन के बीच मुश्किले झेल रहे गरीबों की मदद करने का सोचा। उसके पिता ने बेटी की पढ़ाई के लिए 5 लाख रुपये बचाए थे, जिसे नेत्रा ने गरीबों को खाना देने और उनकी मदद करने में खर्च करने को राज़ी किया। नेत्रा के इस नेक दिली के लिये उसे यूनाइटेड नेशंस एसोसिएशन फॉर डेवलपमेंट एण्ड पीस के लिए ‘गुडविल एंबेसडर टू द पुअर’ नियुक्त किया गया है। नेत्रा से लोगों को प्रेरणा मिले इसलिये प्रधानमंत्री ने इसका जिक्र मन की बात में भी किया था।
जन्नत – जम्मू-कश्मीर
कश्मीर में रहने वाली 7 साल की जन्नत को पर्यावरण से इतना प्यार है कि प्राकृतिक सुंदरता बनाये रखने के लिये दो साल से रोज स्कूल से आकर अपने पिता के साथ छोटी सी नाव में बैठकर डल झील की सफाई में लग जाती है। जन्नत की पर्यावरण बचाने की मुहिम से और बच्चे भी प्रेरित हो, इसलिए हैदराबाद स्थित स्कूलों में उसकी कहानी को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इस पाठ में जन्नत के संघर्ष और उनके सफाई के जज़्बे की पूरी कहानी प्रकाशित की गई है।
अनुराग तिवारी – उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव परासन के रहने वाले किसान कमलपति तिवारी के बेटे अनुराग ने जो कर दिखाया वो किसी ने सोचा नहीं था। अनुराग अपने मेहनत और लगन से 12वीं कक्षा में 98.2 प्रतिशत पाकर पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया। अनुराग ने दिसंबर 2019 में स्कॉलैस्टिक असेसमेंट टेस्ट में 1370 नंबर हासिल किए थे। इस परीक्षा के ज़रिए अमेरिका के प्रमुख कॉलेजों में दाखिला होता है। 12वीं का परिणाम आने पर अमेरिका की कॉर्नल यूनिवर्सिटी ने उन्हें शत प्रतिशत स्कॉलरशिप दे दी है।
अरहम ओम तलसानिया – गुज रात
गुजरात के छह साल के बच्चे ने न सिर्फ कोडिंग सीख ली, बल्कि उसने रिकॉर्ड भी बना दिया। सीखने की इस लगन ने अरहम को इतना प्रभावित किया कि खुद का छोटा-मोटा गेम बनाना शुरू कर दिया। इसके बाद पॉयथान प्रोग्रामिंग लैंगुएज के टेस्ट को पूरा करते ही छह वर्षीय अरहम ओम तलसानिया ने दुनिया के सबसे कम उम्र के कंप्यूटर प्रोग्रामर होने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया।
एसपी शंकर – हैदराबाद
प्रतिभा कभी उम्र की सीमाओं में नहीं बंधती, ऐसी ही एक प्रेरणा हैदराबाद की है। 9 साल एसपी शंकर ने अपने अनूठे तरीकों से पैरामिक्स को हल करने पर दो अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड हासिल किए हैं। शंकर ने इतनी कम उम्र में दो विश्व रिकॉर्ड और एक लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड हासिल किया है। उसने छह साल की उम्र से ही क्यूबिंग शुरू कर दी थी और इसके सिर्फ तीन साल बाद ही वह दो विश्व रिकॉर्ड हासिल करने में सक्षम रहा।
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