प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल हर छोटे-बड़े सामान को रखने के लिये किया जाता है। हल्का और सस्ता होने के कारण यह हर तरह के व्यापारी और ग्राहकों की पहली पसंद रहा है। शायद यही वजह है कि प्लास्टिक बैग पर कई बार रोक लगायी गई है, फिर भी यह पूरी तरह से बाज़ार से निकल नहीं पा रहा है।
हर साल दुनिया में करीब 50 हज़ार करोड़ प्लास्टिक के बैग काम में लिये जाते हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि ब्रिटेन के लोगों ने पिछले साल सुपरमार्केट से लगभग 850 करोड़ प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल किया था। ऐसे में इनसे होने वाले नुकसान का अंदाज़ा आप खुद ही लगा सकते है।
तो चलिए, आज आपको बताते हैं कि प्लास्टिक बैग से क्या-क्या नुकसान हो रहे हैं-
पर्यावरण के लिये ख़तरा बना
प्लास्टिक बैग्स ज़मीन, हवा और पानी सबको दूषित कर रहे हैं। ज़मीन में प्लास्टिक बैग्स के मिलने से ज़मीन की उर्वरता नष्ट हो रही है और पानी में मिलकर प्लास्टिक बैग्स अंडरग्राउंड वाटर को दूषित कर रहे है। इतना ही नहीं, प्लास्टिक बैग्स को जलाने पर जो ज़हरीली गैसें निकलती हैं, उसने हवा को भी प्रदूषित और ज़हरीला बना दिया है।
कचरे का गोदाम बना समुद्र
समुद्र में पानी के साथ-साथ प्लास्टिक का ढ़ेर भी बढ़ता जा रहा है। समुद्र के किनारे पर पड़े प्लास्टिक के कचरे को लहरें अपने साथ समुद्र में ले जाती है। इसके अलावा लोग भी समुद्र में प्लास्टिक और दूसरा कचरा फैंकते रहते है और इससे समुद्र अब कचरे के गोदाम बनते जा रहे है।
जानवरों की मौत का कारण
प्लास्टिक बैग्स से होने वाले नुकसान से जानवर भी नहीं बचे हैं। खाने की चीज़ों के साथ प्लास्टिक बैग भी निगलने के कारण बहुत से जानवर मर जाते हैं। ज़मीनी पशुओं के साथ समुद्री जीवों की मौत का कारण भी प्लास्टिक बन रहा है।
प्लास्टिक बैग्स है नॉन-बायोडिग्रेडेबल
नॉन-बायोडिग्रेडेबल, यानी ये प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होते और इन्हें विघटित होकर ख़त्म होने में लगभग 1000 साल का समय लग जाता है। ऐसे में सोचिये, अगर हम रोज़ प्लास्टिक का ढ़ेर लगाते रहेंगे, तो एक दिन हमें ज़मीन दिखने की बजाय प्लास्टिक से बना सामान ही दिखेंगा। इसलिये बहुत ज़रूरी है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम किया जायें।
प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करें
कोशिश करिये कि प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल न ही किया जायें। इसकी जगह जूट या कपड़े के बने थैलों का उपयोग किया जाये। बोतलों या सामान रखने के लिये स्टील या अन्य धातुओं के बने बर्तनों का प्रयोग करना चाहिये।
जागरुकता फैलायें
सरकार और पर्यावरण संस्थाओं के अलावा भी हर एक नागरिक की पर्यावरण के प्रति कुछ खास जिम्मेदारियां है। जिन्हें अगर समझ लिया जाये, तो पर्यावरण को होने वाली नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
और भी पढ़े: ऑफिस का स्ट्रैस हो जायेगा छूमंतर
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।