आज के दौर में यह बेहद ज़रूरी है कि बच्चे की परवरिश ऐसे की जाए कि वह उदार, धैर्यवान और दयावान बनें। लेकिन बच्चे के लिए सवाल पूछना भी बहुत ज़रूरी है, ऐसे सवाल जो जिज्ञासा से उत्पन्न होते हैं। बतौर पैरेंट्स आपको इस बाद का ध्यान रखना ज़रूरी है कि बच्चे के पूछे गए सवाल का जवाब उसकी आंखों या कम से कम उसकी तरफ देखकर दें।
सवाल हैं महत्वपूर्ण
यदि आप किसी काम में व्यस्त हैं, तो हो सकता है कि आप बच्चे के सवाल का जवाब न दें, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि बाद में आप उसे जवाब अवश्य दें। किसी दूसरी जगह जवाब तलाशने से बेहतर है कि उन्हें आपसे सही जवाब मिले, इससे वह दोस्तों और इंटरनेट पर मिले गलत और भ्रमित करने वाली चीज़ों के जाल में फंसने से बच जाएंगे।
सवाल का मतलब विद्रोह नहीं
बच्चों के सवाल दुनिया को और उसके काम करने के तरीके को समझने का कुदरती तरीका है। इससे उन्हें क्या सही है और क्या गलत इसके बारे में राय बनाने में मदद मिलती है। यदि आपको समझ नहीं आ रहा कि बच्चे के सवाल का जवाब कैसे दें या आपको उत्तर नहीं पता है तो उनसे कहें कि आप कल इसका जवाब दें और फिर अगले दिन उन्हें सही जानकारी दें।
बिना किसी कारण विद्रोह
बच्चों के लिए सीमाएं तय करते समय उनसे विनम्रता से बात करना ज़रूरी है। यदि आप बच्चे से कहती हैं कि 7 बजे तक घर लौट आना और बच्चा पूछता है ‘क्यों’, तो यह कहना कि बस मैंने कहा न इसलिए, बच्चे को बागी बना सकता है और उसे आपकी बात समझ नहीं आएगी। इसलिए समय पर घर आने के पीछे की वजह विनम्रता से समझाएं।
क्या चुप रहना बुरी चीज़ है?
नहीं ऐसा नहीं है, लेकिन हर मुद्दे पर चुप्पी साधे रहना आपके बच्चे की नेतृत्व क्षमता घटा सकता है या उसके स्टेटस पर सवाल उठा सकता है। बतौर पैरेंट्स यदि आपको कोई बात या देश से संबंधित कोई चीज़ पसंद नहीं आती है तो क्या आप असहमति में आवाज़ नहीं उठाते हैं? इसी तरह क्या आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी किसी बात या चीज़ से तकलीफ झेलने के बाद भी चुप रहे? एक बच्चे को खुद पर विश्वास करके सही चीज़ करनी चाहिए, बजाय इसके की परिणामों को जाने बिना खामोशी से खड़ा रहे।
बच्चे को संवेदनशील बनाएं
आज के दौर में जहां एक क्लिक पर ही सारी अश्लील और बिना सेंसर की हुई सामग्री मौजूद है। ऐसे माहौल में बच्चे को संवेदनशील बनाना बहुत ज़रूरी है, इसके लिए उनसे अधिक से अधिक बातचीत करें। उनके ऐसे सवालों का भी शांति से जवाब दें, जिससे आपको शर्मिंदगी महसूस हो या गुस्सा आए। आप बच्चे से जितना अधिक बात करकें उनके दिमाग का उतना ही अधिक विकास होगा और वह संवेदनशील बनेंगे।
एक संपूर्ण व्यक्तित्व लगातार पूछे जाने वाले सवालों और मिले ढेर सारे जवाबों का परिणाम होता है। आपके देश, शहर, परिवार में क्या हो रहा है इस बारे में बच्चे से बाद करें, लेकिन इन मुद्दों पर अपनी राय देने के लिए उन पर दबाव न डालें। उन्हें अपने हिसाब से सोचने दें। सही मूल्यों के साथ बच्चे की परवरिश उनके उज्जव भविष्य की नींव है।
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