यदि छोटी उम्र से ही बच्चों को खुद के साथ ही अपने आस-पड़ोस को भी साफ-सुथरा रखने की आदत सिखाई जाये, तो आगे चलकर स्वच्छ गांव और शहर का निर्माण आसान होगा। कुछ इसी तरह की सोच के साथ गोवा के स्कूलों में अब से वेस्ट मैनेजमेंट यानी कचरा प्रबंधन सिखाया जायेगा।
मेघालय का मावलिननॉन्ग एक छोटा सा और बहुत ही खूबसूरत गांव है। इसे एशिया के सबसे साफ गांव का दर्जा प्राप्त है। गांव को यह दर्जा दिलाने का श्रेय किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं, बल्कि हर गांववाले को जाता है, जिन्होंने खुद ही अपने गांव को कचरा मुक्त बनाया। आज यह गांव पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कहने का मतलब यह है कि जब देश का हर नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए अपने गांव-शहर को साफ रखने की पहल करने लगेगा, तो फिर देश का हर इलाका मावलिननॉन्ग जैसा बन सकता है और इसके लिए छोटी उम्र से ही बच्चों को सफाई के प्रति जागरुक करना चाहिये। ऐसा ही एक प्रयास गोवा सरकार ने किया है।
अच्छा नागरिक बनाने की पहल
स्कूलों में दी जानी वाली एकेडमिक शिक्षा के साथ ही बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने के लिए संस्कार और मूल्य सिखाने के लिये गोवा के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में एकेडमिक ईयर 2019-20 से बच्चों को वेस्ट मैनेजमेंट सिखाया जायेगा। यह तीसरी क्लास से सिलेबस में शामिल होगा। इसका मकसद बच्चों को जागरुक और जिम्मेदार नागरिक बनाना है।
मूल्य वर्धन प्रोग्राम
गोवा सरकार की यह पहल ‘मूल्य वर्धन’ प्रोग्राम का हिस्सा है। वेस्ट मैनेजमेंट का सिलेबस पुणे के मुथा फाउंडेशन ने राज्य सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग के साथ मिलकर तैयार किया है। गोवा में कचरा प्रबंधन और ट्रैफिक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है, शायद इसलिए इन सीविक मुद्दों के प्रति छात्रों को जागरुक करने के मकसद से उन्हें स्कूलों में ही इससे जुड़ी शिक्षा दी जायेगी।
रोड सेफ्टी से जुड़ा विषय क्लास 3 और 6 के छात्रों को एकेडमिक ईयर 2018-19 से ही सिखाया जा रहा है। हालांकि मूल्य वर्धन प्रोग्राम के तहत सिखाये जाने वाले विषयों के लिए बच्चों को ग्रेड नहीं दिये जायेंगे क्योंकि ये विषय बस छात्रों में वैल्यू और सिविक सेंस लाने के लिए पढ़ाये जायेगे।
बच्चों में डालें सफाई की आदत
– स्कूल के साथ पैरेंट्स को भी छोटी उम्र से ही बच्चों में साफ-सफाई की आदत डालनी चाहिये। उन्हें न सिर्फ खुद को, बल्कि अपने घर और आसपास को भी साफ रखना सिखाना चाहिए। टॉयलेट जाने पर फ्लश करना और साबुन से हाथ धोने जैसी बातें सिखानी भी ज़रूरी है।
– बच्चों से कहें कि कचरा कभी भी यहां वहां न फैलायें, उसे हमेशा डस्टबिन में डालें।
– चॉकलेट, वेफर, बिस्किट के रैपर सड़क पर न फेंके, डस्टबिन में डालें।
– लकड़ी और गत्ते जैसी कुछ चीज़ें जिन्हें दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, उसे फेंकने की बजाय उसका रीयूज़ करना सिखाये।
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