अगर हम आपको बताये कि बीस हज़ार महिलाओं को सशक्त करने के पीछे एक ऐसी महिला का हाथ है, जिसके सिर से मां का हाथ महज़ पांच साल की छोटी सी उम्र में ही उठ गया था। बचपन से बड़े होने तक उसने कई परेशानियों का सामना किया, लेकिन उनके सामने घुटने टेकने की बजाय खुद के साथ अपने आसपास की हज़ारों महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया।
हम बात कर रहे हैं जयपुर के बारमर के गांव मंगला बेरी की रहने वाली रुमा देवी की। उनकी मुश्किल हालातों के चलते आठवीं क्लास के बाद पढ़ाई छूट गई थी और 17 साल की उम्र में शादी हो गई। इसके बावजूद घर की ज़िम्मेदारियों को संभालते हुए उन्होंने बारमर, बीकानेर और जैसलमेर के 75 गांव की करीब बीस हज़ार महिलाओं को आर्थिक रुप से स्वतंत्रता दिलवाई ।
बड़े डिज़ाइनर्स के साथ कर चुकी हैं काम
रुमा देश और दुनिया के कई बड़े डिज़ाइनर्स के साथ काम कर चुकी हैं और अपने साथ जुड़ी महिलाओं के काम को लंदन, जर्मनी, सिंगापुर और कोलंबो फैशन वीक्स में दिखा चुकी हैं। रुमा देवी ने शुरुआत में रिश्तेदारी की दस महिलाओं को एक साथ लाकर एक सेल्फ-हेल्प ग्रुप बनाया था। सभी महिलाओं ने सौ-सौ रुपये इकट्ठे कर के जमा की गई राशि से कपड़ा, धागा और प्लास्टिक के रैपर खरीदे, जिनसे कुशन और बैग बनाये। शायद किस्मत भी उनके साथ थी कि उनको अपने ही गांव में खरीदार मिल गये। इससे उन्हें अपने काम को बढ़ाने का मौका मिल गया। चाहती तो वो यहीं पर रुक सकती थीं, लेकिन उनके सपने कुछ और थे।
सपनों की तरफ बढ़ाया था कदम
रुमा ने अपने गांव तक ही सीमित न रहते हुये साल 2008 में बारमर के ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान को ज्वाइन किया और अपनी मेहनत और इरादों के बल पर साल 2010 में एनजीओ की प्रेज़ीडेंट बन गईं। उनके ग्रुप की मेंबर्स अपने स्किल्स के मुताबिक हर महीने 3000-10000 रुपये के बीच कमा लेती हैं। उनकी एनजीओ सभी मेबर्स को लॉजिस्टिक, ट्रेनिंग और मार्किटिंग में मदद करती है।
ऊंचे इरादों से पाया सम्मान
पिछले दस सालों में महिलाओं को सशक्त करने के इन्हीं प्रयासों के चलते रुमा देवी को साल 2018 में नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बीते महिला दिवस पर उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा भी उन्हें कई अवार्ड मिले हैं।
रूमा देवी देती है जीवन की सही सीख
– अगर संकल्प पक्का हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
– अपने साथ दूसरों की तरक्की के लिये भी सोचे।
– मेहनत हमेशा सफलता लाती है।
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