चिंता और घबराहट इंसानी स्वभाव का मूल हिस्सा है और ये बिल्कुल सामान्य है, लेकिन जब ये चिंता और घबराहट बेवजह हो, तब यह एंग्ज़ाइटी में बदल जाती है। एंग्ज़ाइटी आपकी नॉर्मल लाइफ को प्रभावित करने लगती है, इसलिये समय रहते इसे पहचानें और इलाज करवायें।
क्या है एंग्ज़ाइटी डिसॉर्डर?
एग्ज़ाम या इंटरव्यू के पहले घबराहट होना, माथे पर पसीना आना… ये बिल्कुल सामान्य है। ऐसा अमूमन सबके साथ होता है, मगर जब यह घबराहट बिना किसी कारण के हो या आपको समझ ही न आये कि आपको किस बात की चिंता सता रही है, तब यह एंग्ज़ाइटी डिसॉर्डर बन जाता है। इसे मानसिक बीमारी कहा जा सकता है। इस दौरान शरीर में कैटेकोल अमीब्स हार्मोंन बढ़ने लगता है, जिसे घबराहट होने लगती है। यदि सही समय पर इसका इलाज न कराया जाये, तो धीरे-धीरे यह फोबिया में बदल जाती है। अधिकांश युवा इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
एंग्ज़ाइटी डिसॉर्डर की वजह
इसके कई कारण ज़िम्मेदार हो सकते हैं। अनहेल्दी डाइट हैबिट, एक्सरसाइज़ न करना, काम का प्रेशर, मल्टीटास्किंग यानी एक साथ कई काम करने की कोशिश, काम अधूरा रह जाने या छूट जाने का डर, भीड़ के बीच अकेलापन, खुद की दूसरों से तुलना करना, नशे की लत आदि। एंग्ज़ाइटी इनमें से किसी भी कारण से हो सकती है।

क्या होता है इसमें?
एंग्ज़ाइटी डिसॉर्डर में इंसान बेकार ही घबराता और चिंता करता है। इस बीमार से पीड़ित व्यक्ति-
– बेवजह की चिंता करता है
– लोगों के सामने जाने से डरता है।
– लोगों से बातचीत करने का डरता है।
– लिफ्ट में जाने से डरता उसे लगता है कि वह अंदर ही फंस जायेगा।
– पागलपन की हद तक सफाई करना।
– बार-बार चीज़ों को सेट करना।
– ये मान बैठता है कि कोई उसे मार देगा या वह मरने वाला।
– बार-बार पुरानी बातों को याद करना।
इलाज और बचाव
पीड़ित को साइकोलॉजिस्ट से दिखाने की ज़रूरत है। उसके बताये इलाज के साथ ही इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिये अपनी जीवनशैली में थोड़ा बदलाव करना चाहिये।
– मेडिटेशन करें। यह एंग्जाइटी डिसॉर्डर से बचने का अच्छा तरीका है। सुबह या शाम में मेडिटेशन करें। इससे मन को शांति भी मिलेगी। साथ ही मन में आने वाले नेगेटिव विचार भी दूर होंगे।
– वॉकिंग करना भी ज़रूरी है। सुबह और शाम की ताज़ी हवा में टहलने से आप तरोताज़ा महूसस करते हैं और इससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
– स्वस्थ रहने के लिये पर्याप्त नींद लेना भी ज़रूरी है। इसलिये रात को जल्दी सोने की कोशिश करें और फोन, गैजेट्स आदि से रात के समय दूर रहें।
– मेंटल फिटनेस के लिए भी नियमित रूप से एक्सरसाइज़ ज़रूरी है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज फायदेमंद होती है।
– वर्कआउट के साथ ही हेल्दी डाइट भी ज़रूरी है।
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