ऑर्गेनिक और नेचुरल का लेबल सिर्फ फूड आइटम्स पर ही नहीं, ब्यूटी प्रोडक्ट पर भी लगा होता है। आजकल मार्केट में ढेर सारे ब्यूटी प्रोडक्ट्स हैं, जो ऑर्गेनिक और नेचुरल होने का दावा करते हैं, ऐसे में ग्राहक कन्फ्यूज हो जाते हैं कि कौन सा प्रोडक्ट अच्छा है। यदि आप प्रोडक्ट पर लिखे लेबल का मतलब समझ जाएं तो आपके लिए निर्णय करना आसान हो जाएगा। चलिए आपको बताते हैं आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले ब्यूटी लेबल का मतलब।
खूबसूरत दिखने की चाह भला किसे नहीं होती, लेकिन बदलते वक़्त के साथ अब लोगों की प्राथमिकाएं भी थोड़ी बदली हैं। अब वह खूबसूरती तो चाहते हैं, लेकिन साथ ही यह भी चाहते हैं कि उनके द्वारा इस्तेमाल प्रोडक्ट का पर्यावरण पर कोई असर न हो, इसलिए ग्रीन, ऑर्गेनिक और इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ रही है। ऐसे में आपके लिए ब्यूटी प्रोडक्ट पर लिखे लेबल का मतलब जानना ज़रूरी है।
नेचुरल
यदि मार्केट में आए नए मॉइश्चराइजर को देखकर आप आकर्षित हो गई हैं क्योंकि उस पर ‘नेचुरल’ लिखा है तो याद रखिए इसका मतलब यह नहीं होता कि वह प्रोडक्ट 100 प्रतिशत नेचुरल चीज़ों से बना है, बल्कि इसका मतलब है इसमें कुछ नेचुरल चीज़ों का इस्तेमाल हुआ है। ऐसे प्रोडक्ट में 30% सिंथेटिक सामग्री का इस्तेमाल होता है। यदि आपको 100% कुदरती प्रोडक्ट चाहिए तो ‘100% नेचुरल’ के लेबल वाला प्रोडक्ट खरीदें।
डर्मेटोलॉजिस्ट टेस्टेड
इसका मतलब है कि प्रोडक्ट को आमतौर पर मानव त्वचा पर कभी टेस्ट किया जा चुका है। हालांकि सभी मामलों में ऐसा हो ज़रूरी नहीं है। दरअसल, इसका मतलब है कि डर्मेटोलॉजिस्ट ने इस प्रोडक्ट को रिव्यू किया है और वॉलिंटियर्स के ज़रिए इसका परीक्षण किया गया कि मानव त्वचा और बालों पर इसका क्या असर होता है। हालांकि यह बात याद रखिए कि इसका को निश्चित नियम नहीं है। यानी आंख बंद करके ऐसे प्रोडक्ट पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।
ऑर्गेनिक
इसका मतलब है कि प्रोडक्ट में ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है जिसे ऑर्गेनिक (बिना केमिकल के) तरीके से उगाया गया है। ऐसी सामग्रियों का उत्पादन सिंथेटिक फर्टिलाइजर, हर्बीसाइड्स, जेनेटिकली मोडिफाइड ऑर्गेनिज़्म और अन्य केमिकल के बिना किया जाता है। वैसे ऑर्गेनिक का लेबल लगे प्रोडक्ट की सामग्री लिस्ट भी चेक करना ज़रूरी है।
हाइपोएलर्जेनिक
सामान्य रूप से इसका मतलब है कि ऐसे प्रोडक्ट से जलन या एलर्जी की संभवना कम होती है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। यह बस आश्वासन है, गारंटी नहीं। इसलिए यदि आपकी स्किन सेंसिटिव है, तो पहले ऐसे प्रोडक्ट को अपने कलाई पर अंदर की ओर टेस्ट करें, फिर त्वचा पर लगाएं। इससे भी अच्छा होगा कि इस्तेमाल से पहले आप डर्मेटॉलिजिस्ट से सलाह ले लें।
नॉन-कमिडजेनिक (मुहांसे न पैदा करने वाला)
यह उनके लिए है जिनकी त्वचा मुंहासों के प्रति संवेदनशील है। इसका मतलब है कि यह प्रोडक्ट रोम छिद्रों को ब्लॉक नहीं करेगा, इसलिए ऑयली स्किन वाले भी इसे लगा सकते हैं। इस तरह के प्रोडक्ट्स में रोम छिद्रों को बंद करने वाले तत्व नहीं होते हैं, इसलिए इसके इस्तेमाल से ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स नहीं होते हैं।
क्रूरता-फ्री
इसका मतलब है कि प्रोडक्ट का जानवरों पर परीक्षण नहीं किया गया है। प्रोडक्ट पर लिपिंग बनी का सिंबल भी हो सकता है जो उसे अंतरराष्ट्रीय रूप से क्रूरता फ्री होने का सर्फिटिकेट देता है। यह सिंबल क्रूएलिटी फ्री इंटरनेशनल द्वारा जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि यह ग्राहकों और ब्रांड के बीच पारदर्शिता बनाए रखने के लिए है।
पैराबेन फ्री
पैराबेन आमतौर पर कॉस्मेटिक्स जैसे मॉइश्चराइजर, डियोड्रेंट, साबुन आदि में इस्तेमाल होता है। यह एक तरह का प्रिज़र्वेटिव है, जो बैक्टीरिया के विकास को रोकता है, लेकिन यह ब्रेस्ट कैंसर से भी संबंधित है। चूंकि यह एस्ट्रोजेनिक होते हैं, इसलिए यह सामान्य हार्मोनल कार्यप्रणाली को बाधित करते हैं। पैराबेन प्रजनन संबंधी मुद्दों से भी जुड़ा हुआ है।
सल्फेट फ्री
मान लीजिए किसी शैंपू में सल्फेट है तो इसका मतलब है कि इसमें सल्फर युक्त मिनरल सॉल्ट का इस्तेमाल हुआ है। ऐसे उत्पाद बहुत कठोर होते हैं और स्कैल्प में खुजली, जलन, रुखापन आदि के लिए जिम्मेदार होते हैं। सल्फेट फ्री शैंपू में सल्फेट नहीं होता है, जिससे ये सब परेशानी नहीं होती है और यह स्कैल्प और बालों के नेचुरल ऑयल को बनाए रखता है, जिससे बाल सॉफ्ट रहते हैं।
तो अब आप आसानी से अपने लिए इको फ्रेंडली ब्यूटी प्रोडक्ट चुन सकते हैं।
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