जब आप मंदिर जाते हैं, तो आपको सबसे आम दृश्य क्या दिखता है? आमतौर पर आपको मंदिर के बाहर फूल-प्रसाद की दुकानें और भीख मांगने वाले लोग बैठे दिखते होंगे, जिनकी आप कुछ पैसे, खाना या और दूसरी चीज़ें देकर मदद करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि एक भिखारी ने किसी को दान दिया हो? यह बात चौंकाने वाली ज़रूर लग सकती है, लेकिन सच कुछ ऐसा ही है कि मंदिर के बाहर भीख मांगने वाली महिला ने मरने के बाद अपनी जीवन की कमाई पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों के परिवार को दे दी।
कौन है यह महिला?
नंदिनी शर्मा नाम की एक बुज़ुर्ग महिला, अजमेर में स्थित बजरंगनाथ के अंबे माता मंदिर के बाहर बैठती थी। नंदिनी का देहांत अगस्त 2018 में हो गया था। वैसे तो नंदिनी एक साधारण सी भिखारिन थी, लेकिन उनके अंदर कुछ असाधारण था, जो बाकी भीख मांगने वालों से उन्हें जुदा करता था। नंदनी को जितने भी पैसे मिलते थे, वह उसको रोज़ बैंक में जमा कर देती थी और धीरे-धीरे वह रकम लाखों में जुड़ गई। जमा की गई रकम करीब साढ़े छह लाख हो थी, जिसका ट्रस्टी उन्होंने दो लोगों को बना दिया था।
मरने से पहले नंदिनी ने एक वसीयत बनवाई, जिसमें उन्होंने लिखा कि उनकी जमा रकम को देश और समाज हित में लगा दिया जाये। इसके बाद काफी समय से ट्रस्टी चाह रहे थे कि नंदिनी की कमाई को देश हित में कैसे लगाया जाये। पर हाल ही में हुये पुलवामा अटैक के बाद दोनों ने शहीदों के परिवारों को मदद करने के मकसद से इस रकम को चीफ मिनिस्टर्स फंड के ज़रिए डोनेट कर दिया।
अब तक सिर्फ सुना था कि एक लंबा जीवन जीने से कुछ नहीं होता बल्कि उस जीवन में आपने कितनी दूसरों की मदद की है, इस पर निर्भर करता है। इस लिहाज़ से नंदिनी ने एक बहुत बड़ा जीवन जिया है। देश उनकी इस नेक दिली को सलाम करता है।
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