समुद्री जीवों और मछुआरों का जीवन जिस समुद्र के सहारे चलता है, प्लास्टिक ने उसकी हालत बदतर बना दी है। यदि जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाये गये, तो समुद्रों में जीवो से ज़्यादा प्लास्टिक का कचरा रहेगा। केरल के एक मछुआरे ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुये अकेले ही समुद्र की सफाई का काम शुरू कर दिया।
दो महीने में 3.5 टन प्लास्टिक
समुद्र में प्रदूषण का स्तर कितना बढ़ता जा रहा है, इसका अंदाज़ा इसी बता से लगाया जा सकता है कि करेल के मछुआरे प्रियेश केवी ने सिर्फ दो महीने में अकेले 3.5 टन प्लास्टिक निकाला है। सोचिये, समुद्र में प्लास्टिक कचरे का कितना अंबार होगा। प्लास्टिक की वजह से समुद्र जीवों का जीवन संकट में है। प्रियेश के मुताबिक, मछली के लिए जब भी वह जाल फैलाते तो मछली से ज़्यादा प्लास्टिक जाल में आ जाता जिसे देखकर वह परेशान हो जाते। बड़ी मात्रा में प्लास्टिक निकलता देख उन्हें स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा हुआ और फिर उन्होंने समुद्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने का काम शुरू किया।
आसान नहीं था काम
प्रियेश के लिए यह काम आसान नहीं था क्योंकि प्लास्टिक निकालने के बाद उसकी रिसाइकलिंग भी ज़रूरी थी। इसके लिये प्रियेश अपने गांव के ग्राम पंचायत और संबंधित अधिकारियों से मिले और उन्हें हालात की गंभीरता के बारे में बताया। मछली पकड़ते समय जो प्लास्टिक कचरा उनके जाल में फंसा था, उसकी फोटो भी अधिकारियों को दिखाई। इसके बाद वह प्रियेश की मदद के लिए राज़ी हो गये। प्लास्टिक निकालने के बाद प्रियेश उसे पंचायत की प्लास्टिक श्रेडिंग यूनिट में पहुंचाते है और वहां से यह कचरा रिसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है।
भविष्य बचाने की कवायद
प्लास्टिक इकट्ठा करने के लिये प्रियेश को ज़्यादा समय तक काम करना पड़ता है। कई बार वह मछली पकड़ने के समय में कटौती करके समुद्र से प्लास्टिक निकालने का काम करते हैं। कई बार तो वह दिन में चार से पांच घंटे लगातार प्लास्टिक इकट्ठा करते रहते हैं। प्रियेश को पता है कि जब समुद्र ही साफ नहीं रहेगा, तो मछलियां कहां से आयेंगी। इसलिए वह समुद्र को साफ करके वह अपना भविष्य बचाने की कोशिश कर रहे हैं। काश! प्रियेश की तरह ही बाकी लोगों को भी ये बात समझ आ जाती तो शायद समस्या प्रदूषण की समस्या को कम किया जा सकता है।
बारिश की वजह से काम बंद
फिलहाल बारिश के कारण प्रियेश अपना काम नहीं कर पा रहे है, लेकिन जुलाई के बाद जैसे ही बरसात खत्म होगी, वह फिर से समुद्र की सफाई की मुहिम में जुट जायेंगे। आठवी तक पढ़े प्रियेश इस काम के साथ ही दसवीं के समकक्ष इम्तिहान की भी तैयारी कर रहे हैं।
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