किसी से जलन या ईर्ष्या होने का कारण होता है, जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के पास ऐसा कुछ देखता है जो वह भी चाहता है। लेकिन ये भावना घर होने से इंसान के मन में तनाव और परेशानी रहती है। इसका असर मानसिक ही नहीं, बल्कि शरीर पर भी पड़ता है।
भावनाओं के प्रति सचेत होना
जलन या ईर्ष्या भाव पर काबू पाने के लिए अपनी नकारात्मक और पॉज़िटिव भावनाओं को समझना होगा। अक्सर जलन से भरे लोग अपनी नकारात्मक भावनाओं को समझना नहीं चाहते। नतीजा यह समस्या का रूप ले लेती है। जैसे ही अपनी भावनाओं के प्रति सचेत होने लगेंगे, यह समस्या कम होने लगेगी। अगर इसके बावजूद ये परेशानी बनी रहे, तो मेडिटेशन करें यानी ध्यान लगाएं।
ईर्ष्या करने की बजाय उसे स्वीकारे
सवाल यह है कि ईर्ष्या क्यों है? क्या आपका दोस्त आपसे ज़्यादा अमीर या बुद्धिमान है, इसलिए जलन है? क्या वह आपसे बेहतर दिखता है, इसलिए जलन है? जलन की कोई भी वजह हो सकती है। बेहतर यही है कि ईर्ष्या की वजह जानने की कोशिश करें और उसे स्वीकार करें। अपने लक्ष्य को पाने के लिये खुद को वैसा बनाएं जैसा आप बनना चाहते हैं।
तुलना और प्रतिस्पर्धा के बीच फर्क समझें
हम अक्सर तुलना और प्रतिस्पर्धा के बीच फर्क नहीं कर पाते। जबकि इन दोनों के बीच बहुत बड़ा फर्क है। प्रतिस्पर्धा करने में अक्सर हमें अच्छा लगता है और जीत का भाव होता है। लेकिन तुलना करने से हमेशा ईर्ष्या भाव से घिरे रहते हैं। यही नहीं तुलना करने से हमेशा खुद को कमतर पाते हैं। जिन लोगों से आपको जलन होती है, उनसे प्रेरणा हासिल करें और अपने जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करें।
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अपनी खासियत गिनें
असल में हम दूसरों के पास क्या है, यही जानकर परेशान रहते हैं। कभी यह नहीं सोचते कि हमारे पास क्या है जो दूसरों के पास नहीं है। अपने हुनर और खूबियों को गिनें, जलन भाव से बचने का यह सबसे आसान उपाय है।
प्यार है उपचार
किसी भी समस्या का उपचार प्यार होता है। जिससे आपको जलन महसूस होती है, उससे प्यार करना सीखें। इसके बाद ही आप समझ पाएंगे कि जलन भाव सिर्फ तकलीफ देती है जबकि प्यार करने से समस्याओं का अंत हो जाता है। यहां तक कि आप जलन और ईर्ष्या भाव पर भी जीत हासिल कर लेते हैं।
यह बात हमेशा मन में रखें कि इस दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं है। कुछ कमी आप में है तो कुछ दूसरों में भी है। दूसरों की खूबियों से प्यार करें। उनसे प्रेरित हों और कुछ सीखने की कोशिश करें।
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