बेहद गरीबी से निकलकर आज अपना बिज़नेस कर रहे रेणुका आराध्या की ज़िंदगी हताश-निराश लोगों के लिए प्रेरणा हो सकती है। रेणुका के पिताजी गोपसांद्रा गांव के मंदिर के पुजारी थे, लेकिन उन्हें कोई वेतन नहीं मिलता था। ऐसे में पिता के साथ वह भी गांव में घूमकर अन्न मांगते और फिर उसे बाज़ार में बेचते थे और उन्हीं पैसों से घर के पांच सदस्यों का गुजारा होता था। जब रेणुका छटी क्लास में गए, तो उन्होंने पढ़ाई के साथ ही घरों में झाड़ू-पोंछा करने का काम भी शुरु कर दिया। पैसों के लिए एक बुजुर्ग चर्मरोगी की सेवा भी करते थे। सुबह वह पूजा कराते और फिर पढ़ाई करने स्कूल जाते थे। लेकिन, पिता के निधन के बाद घर की सारी ज़िम्मेदारियां रेणुका पर आ गईं।
मेहनत से बदली किस्मत
करीब बीस साल की उम्र में रेणुका की शादी हो गई। ज़िंदगी को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कई नौकरियां की, जिसमें सिक्योरिटी गार्ड से लेकर मज़दूरी तक सब शामिल था। उनकी पत्नी भी किसी फर्म में हेल्पर का काम करती थीं, जो बाद में दर्जी बन गई। इसी बीच रेणुका ने कई ट्रैवल कंपनियों में ड्राइवर का काम किया, जिससे उन्हें समझ आ गई कि ट्रैवल एजेंसी में काफी फायदा है। साथ ही अगर आप भाषा में पारंगत हैं, तो फायदा ज्यादा हो सकता है। ऐसे में उन्होंने अंग्रेजी अखबार और पत्रिकाएं पढ़ना शुरू किया। इसका उन्हें भरपूर फायदा भी हुआ।

अब है टैक्सी के मालिक
इस बिज़नेस को समझकर रेणुका आराध्या ने टैक्सी का काम शुरु किया और आज वह 500 टैक्सी-कैब्स वाली कंपनी के मालिक हैं। उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में काफी मेहनत और संघर्ष करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वह हमेशा आगे बढ़ने में विश्वास रखते है। इसलिए वह खुद को टेक्निकली अपडेट भी रखते हैं, जिससे उन्हें हर नए गैजेट के बारे में पता होता है। उनके अपने नियमित ग्राहक हैं। आज वह अपनी कंपनी में दूसरे ड्राइवरों को बाज़ार के हिसाब से तैयार कर रहे हैं।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मेहनत और संघर्ष के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है और इसे प्रूव करने के लिए रेणुका आराध्या से बड़ा उदाहरण भला और कौन हो सकता है!
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