राहुल पढ़ाई में मेहनत करता था, तब भी असफल हो जाता था। बार-बार असफल होने के कारण धीरे-धीर उसके अंदर निराशा पैदा होने लगती है। बालकनी में अकेला बैठ कर वो सोच रहा होता है कि ऐसी मेहनत का क्या फायदा, जिसके बावजूद असफलता हासिल होती हो और वो मन ही मन तय कर लेता है कि आगे से ज़्यादा मेहनत नहीं करेगा।
मां ने दी सीख
पीछे से मम्मी राहुल के लिये दूध का गिलास लेकर आई, तो देखा कि राहुल खामोश बैठा है। मां ने जैसे ही राहुल से पूछा, तो वह इमोशनल हो गया और भरे मन से दिल का सारा हाल बता दिया। मां ने मुस्कुराकर पास की दीवार पर चढ़ने की कोशिश कर रही एक चींटी की ओर इशारा किया। उस चींटी ने खुद से भी बड़ी खाने की एक चीज़ उठा रखी थी, जिसके वज़न के कारण वह बार-बार दीवार से नीचे गिर रही थी। वो जितनी बार गिरती है, फिर कोशिश करती है। करीब 15-20 मिनट बाद वह आखिरकार ऊपर बनाये अपने घर तक पहुंच ही जाती है। मां ने राहुल को समझाया कि अगर कुछ हासिल करना है, तो चींटी की तरह बनो। मेहनत करते रहो और कभी हार नहीं मानो, क्योंकि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।
ज़रूरत है सही दिशा की
राहुल को मां की बात में दम लगा और सोचने लगा कि अगर छोटी सी चींटी अपने से बड़े टुकड़े को लेकर दीवार चढ़ सकती है, तो वो कैसे हार मान सकता है। मां की इस सीख से राहुल के मन की नेगेटिविटी छूमंतर हो गई। उसने फिर से पूरे जोश के साथ दिल लगाकर पढ़ाई की और इसकी वजह से राहुल के न केवल मार्क्स अच्छे आये, बल्कि वो क्लास में सेकेंड आया। टीचर ने भी राहुल की इस मेहनत को देखकर कहा कि राहुल मेहनत तो तुम बहुत करते थे, लेकिन सही दिशा की ज़रूरत थी और इसी वजह से उसने क्लास में टॉप किया है।
मेहनत की दिशा में ‘कदम बढ़ाओ सही’
– कड़ी मेहनत का रंग कभी फीका नहीं पढ़ता।
– मेहनत और कोशिश तब तक करते रहें, जब तक मंज़िल हासिल न हो जाये।
– जब मन में निराशा भरने लगे, तो किसी प्रेरणात्मक व्यक्ति से बात करें, मन को अच्छा लगेगा।
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