उम्र के एक पड़ाव के बाद लोगों का सपना होता है कि वह रिटायरमेंट के बाद अपने पोता-पोती के साथ खेलें और आराम की ज़िंदगी जिएं, लेकिन रिवॉल्वर-दादी के नाम से जानी जाने वाली चंद्रो तोमर ने न सिर्फ उस उम्र में एक सपना देखा बल्कि उसे पूरा भी किया।
कौन हैं चंद्रो तोमर?
चंद्रो (86 साल) यूपी की रहने वाली हैं और एक नेशनल शूटिंग चैंपियन हैं। उन्होंने 60 साल की उम्र में पिस्तौल उठाई और 25 से ज़्यादा नेशनल शूटिंग टाइटल्स देश की झोली में डाल दिए। चंद्रो दुनिया की सबसे बड़ी उम्र की प्रोफेशनल शार्प शूटर हैं और लोगों को शूटिंग भी सिखाती हैं। आज भी वह अपने हाथ में एयर पिस्टल पकड़, उसे स्थिर रख कर दस मीटर की दूरी से एकदम सटीक निशाना लगाती हैं और बैलेंस के साथ-साथ उनकी आंखें भी निशाना लगाने में उनका साथ देती हैं।
खास होने के साथ आम भी हैं वह
चंद्रो के पांच बच्चे और 15 पोते-पोती हैं। देश की किसी भी दादी की तरह वह आज भी अपने परिवार के लिए खाना बनाती हैं, गाय को चारा खिलाती हैं, उनका दूध निकालती हैं और गोबर के कंडे बनाती और उसकी देख-रेख करती हैं। लेकिन इन सब के साथ-साथ वह सैकड़ों बच्चों को अपनी फेवरेट स्किल – शूटिंग सिखाती हैं।
ये ऐसी दादी है, जो न सिर्फ खेल के मैदान में बल्कि सोशल मीडिया की दुनिया में भी खूब एक्टिव हैं। आये दिन उनके ट्वीट एक से बढ़कर एक होते हैं।
कैसे हुई शुरुआत?
चंद्रो चाहती थी कि उनकी पोती शूटिंग में महारथ हासिल करें और देश के साथ-साथ उनके परिवार का भी नाम रोशन करे। हालांकि उनकी पोती की इस खेल में कुछ खास दिलचस्पी नहीं थी। साल 1990 की बात है, जब एक बार वह अपनी पोती को राइफल क्लब छोड़ने गई, और बस यूं ही पिस्तौल उठा कर निशाना लगाया। निशाना एकदम ठीक जगह पर लगा, जिसे देख कर कोच भी हैरत में पड़ गया और उसने चंद्रो को अपना पैशन फॉलो करने को कहा।
शुरु हो गया नया सफर
बस फिर क्या था, चंद्रो ने अपने प्रोफेशनल शूटर बनने के सपने को उड़ान देनी शुरु कर दी। हर रोज़ वो अपने पति और पिता के सोने का इंतज़ार करती, जिसके बाद वो खेतों में जाकर शूटिंग की प्रैक्टिस करतीं। अपनी बैलेंसिंग स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए वो जग पकड़ कर हाथ सीधा कर के देर तक खड़ी रहतीं।
उन्हें डर था कि उनके परिवार वाले इस कदम से नाराज़ होंगे, इसलिए उन्होंने अपने इस शौक को सबसे छिपा कर रखा। एक बार तो उन्होंने पेपर में छपी अपनी तस्वीर को भी चुपके से फाड़ दिया था, जिससे उनके पिता या पति न देख सकें। लेकिन सच कहां छिप सकता है। जब उन्हें लगातार पुरस्कार मिलने लगे और मीडिया उनके बारे में लिखने लगी, तो सबको पता चल गया और हैरानी की बात यह है कि उन सभी को रिव़ल्वर दादी पर गुस्सा नहीं आया, बल्कि गर्व हुआ।
लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं चंद्रो
जिस गांव में लड़कियों को पढ़ने नहीं दिया जाता था, वहां कि लड़कियां अब शूटिंग को अपना करियर बनाने की कोशिश में लगी हैं। दूसरों के साथ-साथ चंद्रों की अपनी पोतियां भी इस खेल में आगे बढ़ रही हैं। बच्चों के साथ-साथ उनकी जेठानी प्रकाशी तोमर की भी इस खेल में रुचि हो गई।
अपने सपनों को हासिल करने के लिए ‘कदम बढ़ाएं सही’
- कुछ भी नया करने के लिए आप कभी बड़े नहीं होते।
- जीवन में कुछ न कुछ लक्ष्य ज़रूर होना चाहिए।
- दुनिया की परवाह न करते हुए अपने लक्ष्य की तरफ देखें। वहां पहुंचने पर दुनिया खुद आपका साथ देगी।
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