क्या आप शौच के बाद हाथ धोते हैं? क्या आप अपने कूड़ेदान को छूने के बाद भी हाथ धोते हैं? यह सवाल पढ़ कर आप सोच रहे होंगे कि ये क्या बेतुके सवाल हैं। कोई भी व्यक्ति गंदी चीज़ को छूने के बाद साबुन से अपने हाथ ठीक से धोयेगा ही। यही तो हमें बचपन से सिखाया भी जाता है कि खाने से पहले, टॉयलेट के बाद, बाहर से आओ तो हाथ अच्छे से धोने चाहिये। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो गंदगी साफ करने के लिये सीवेज या सैप्टिक टैंकों में उतर जाते हैं, जिसे मैनुअल स्केवेंजिंग कहा जाता है।
स्केवेंजर्स उन जानवरों को कहा जाता है, जो डेड प्लांट और एनिमल मेटीरियल खाकर ईको सिस्टम को मैनेज करने में अहम भूमिका निभाते हैं और हम सफाई कर्मचारियों को मैनुअल स्केवेंजर्स कहते हैं। यह बेहद दुखद और मानवता के खिलाफ है।
प्रोफेसर ने बनाया पहला सेप्टिक टैंक क्लीनिंग रोबोट
सफाई कर्मचारियों की स्थिति को समझते हुये आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर ने पहला सेप्टिक टैंक क्लीनिंग रोबोट बनाया है, जिसके मार्किट में आने के बाद किसी भी व्यक्ति को गंदे नालों में नहीं उतरना पड़ेगा। सेंटर ऑफ नॉन-डिस्ट्रक्टिव इवैलुएशन के डॉ. प्रभु राजगोपाल ने अपने इस रोबोट का नाम ‘सीपॉय सेप्टिक टैंक रोबोट’ रखा है।
यह रोबोट इलेक्ट्रोनिकल है, जिसे रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है और सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए ज़मीन के नीचे भेजा जा सकता है। इस रोबोट को 360 डिग्री पर घुमाया जा सकता है और इसमें हाई वेलोसिटी कटर्स लगाये गये हैं, जिससे सफाई करने में आसानी होगी। इसमें एक कैमरा भी लगाया गया है, जिसको ऊपर अटैच्ड स्क्रीन पर देख कर नीचे की स्थिति का जायज़ा लिया जा सकता है।
कमर्शियल पार्टनर्स की है तलाश
आईआईटी के सेंटर फॉर नॉन-डिस्ट्रक्टिव इवैलुएशन की टीम ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ नाम के एक एनजीओ के साथ जुड़ गई है और उनका लक्ष्य संबंधित मिनिस्ट्री और नगर निगम विभाग के साथ जुड़ना है। फिलहाल इन रोबोट्स का लैब ट्रायल हो चुका है और अब इनका फील्ड ट्रायल किया जायेगा। टीम कमर्शियल पार्टनर्स का सपोर्ट ढूंढ रही है और उम्मीद है कि ये रोबोट्स अगले दो सालों के अंदर मार्किट में आ सकते हैं।
मानवता सभी को बराबर समझने का पाठ में है। तो, सोच सही करने की ज़रूरत है-
– हर व्यक्ति को बराबर समझें।
– कूड़े को नाली में डालने से बचें।
– घर के कचरे को उसके नेचर के हिसाब से अलग करके डिस्पोज़ करें।
इमेज : इंडियाटुडे
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