विज्ञान ने यकीनन हमें बहुत सी सुविधाएं देकर ज़िंदगी आसान बना दी है, लेकिन वैज्ञानिक आविष्कारों और रिसर्च में सिर्फ पुरुष वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि कुछ महिला वैज्ञानिकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनके ज्ञान और प्रयासों के बिना हम उन बहुत सी चीज़ों के बारे में नहीं जान पाते जिनके बारे में आज जानते हैं।
आइए जानते हैं विज्ञान की दुनिया में उल्लेखनीय योगदान करने वाली कुछ महिला वैज्ञानिकों के बारे में –
एलिस बॉल (1892-1916)
मात्र 23 साल की उम्र में, एलिस बॉल ने कुष्ठरोग के लिए उपचार विकसित करके सबको हैरान कर दिया। वह हवाई विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाली पहली महिला और पहली अफ्रीकी अमेरिकी हैं, साथ ही वह विश्वविद्यालय की पहली महिला केमेस्ट्री प्रोफेसर भी बनीं।
जानकी अम्मल (1897-1984)
भारत की पहली महिला प्लांट साइंटिस्ट जानकी अम्मल ने कई हाइब्रिड प्रजातियां विकसित की जो आज भी उगाई जा रही हैं। उन्होंने आनुवांशिकी (जेनेटिक्स), एवोल्यूशन (विकासवाद), फाइटोगोग्राफी और एथनोबोटनी में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
रोज़लिंड फ्रैंकलिन (1920-1958)
सबसे पहले फ्रेंकलिन के रिसर्च डेटा में ही डीएनए स्ट्रैंड के बुनियादी आयामों (बेसिक डायमेंशन) को प्रदर्शित किया गया और बताया कि मॉलेक्यूल्स (अणु) दो समान हिस्से में थे, जो विपरित दिशा में दौड़ रहे थे।
आनंदीबाई जोशी (1865-1887)
आनंदीबाई जोशी पश्चिमी चिकित्सा में डिग्री प्राप्त करने वाली पहली भारतीय पहली थी, उन्होंने हज़ारों लोगों का इलाज किया। साथ ही वह यूएसए से चिकित्सीय शिक्षा (मेडिकल एजुकेशन) पूरा करने वाली पहली महिला थीं।
डोरोथी हॉजकिन (1910-1994)
केमेस्ट्री में नोबल पुरस्कार जीतने वाली पहली और एकमात्र ब्रिटिश महिला थी, उन्हें “महत्वपूर्ण बायोकेमिकल सब्सटैंस की संरचनाओं का निर्धारण एक्स-रे तकनीकों द्वारा” करने के लिए पुरस्कार मिला थी। उन्होंने पेनिसिलिन, विटामिन बी और इंसुलिन की संरचना की भी खोज की।
असीमा चैटर्जी (1917-2006)
ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में उनका बहुत अहम योगदान था। उन्हें एंटी-एपिलेप्टिक दवा, ‘आयुष-56’ और एंटी-मलेरिया दवाओं के विकास के साथ-साथ विनका अल्कलॉइड पर किए रिसर्च के लिए भी जाना जाता है। अपने काम के लिए उन्हें पद्म भूषण और कई अन्य प्रतिष्ठित अवॉर्ड मिल चुका है।
मैरी क्यूरी (1897-1934)
उन्हें रेडियोएक्टिव की खोज और मोबाइल एक्स-रे यूनिट का आविष्कार करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने रेडियोएक्टिव तत्वों पोलोनियम और रेडियम की भी खोज की थी। नोबल प्राइज जीतने वाली क्यूरी पहली महिला थी।
ग्रेस हॉपर (1906-1992)
उन्होंने कई कंप्यूटर भाषाओं का विकास किया और उन्हें आधुनिक कंप्यूटिंग युग के पहले प्रोग्रामर के रूप में जाना जाता है। WWII के दौरान उन्होंने प्रतिष्ठित लैब में काम किया जहां टॉप सीक्रेट कैल्कुलेशन्स की जाती थी।
गगनदीप कांग (वर्तमान)
कांग एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं जिन्होंने उपेक्षित ट्रॉपिकल डिसीज को समझने और रोटावायरस वैक्सीन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही वह लंदन की रॉयल सोसाइटी में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक भी थीं।
सुनेत्रा गुप्ता (वर्तमान)
गणितीय मॉडल का उपयोग करके उन्होंने संक्रामक बीमारियों जैसे फ्लू और मलेरिया के बारे में अध्ययन किया। उन्हें लंदन के ज़ूलॉजिकल सोसाइटी से साइंटिफिक मेडल मिला और साइंटिफिक रिसर्च (वैज्ञानिक अनुसंधान) के लिए रॉयल सोसाइटी रोज़ालिंड फ्रैंकलिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
विज्ञान के क्षेत्र में इन महिलाओं के योगदान के लिए हम इन्हें सलाम करते हैं।
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