कहते हैं कि सपने देखने का सबको अधिकार होता है, लेकिन कुछ लोग विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को सच करने का ज़िम्मा उठाने का साहस रखते हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं तीस साल के मुथूकुमार डी, जिन्होंने 17,836 किलोमीटर का सफर तय कर के अपने जैसे लोगों के लिए बराबरी का हक मांगा।
किस हक की बात कर रहे हैं मुथूकुमार?
बेंगलूरु के मुथूकुमार सुन-बोल नहीं सकते हैं, फिर भी उन्होंने ड्राइविंग टेस्ट पास करके दिखाया। लेकिन इसके बाद भी उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस इशू नहीं किया गया, क्योंकि मूक और बधिरों को सेफ्टी कारणों की वजह से ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता है। इस बात से परेशान होकर उन्होंने अपने सपने को सच करने के लिये कदम उठाया। एक ऐसा कदम जिससे न केवल उनका सपना साकार हो सकता है, बल्कि उन्हें दूसरे लोगों के साथ शायद बराबरी का हक भी मिल सकेगा।
सरकार तक कैसे पहुंचाई अपनी बात?
मुथूकुमार ने 41 दिनों में बाइक से पूरे देश का एक चक्कर लगाते हुए करीब 17,836 किलोमीटर कवर किए। इस दौरान उनकी सिर्फ एक ही मांग थी कि वह रोड सेफ्टी रूल्स जानते हैं और उनका पालन भी करते हैं, इसलिए उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस इशू किया जाये। मुथूकुमार का कहना है कि जब प्रशासन उन लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस इशू कर सकता है, जो कानों में इयर प्लग लगाकर ड्राइविंग करते हैं या फिर हेलमेट या सीट बेल्ट नहीं लगाते। फिर उनको ड्राइविंग लाइसेंस क्यों इशू नहीं किया जा सकता, जो भले ही सुन बोल न सकते हो, लेकिन ट्रैफिक के सारे नियमों का पालन करते हैं।
देशभर में बाइक से घूमने की प्लानिंग वह पिछले 18 महीनों से कर रहे थे। इस सफर के दौरान उनके माता-पिता काफी चिंतिंत थे, लेकिन मुथूकुमार के सही सलामत घर वापस आने के बाद माता-पिता अपने बेटे की सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
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