‘कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो…’ यह कहावत पंजाब के जलंधर जिले के रुड़का कलां गांव के गुरमंगल दास सोनी के ऊपर बिलकुल फिट बैठती है। गुरमंगल ने गांव में ही फुटबॉल क्लब की स्थापना करके यह साबित कर दिखाया है कि सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए खेलों की शक्ति का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
खेलों को बनाया हथियार
दरअसल पंजाब में चल रही ड्रग की महामारी से गुरमंगल दास सोनी का गांव रुड़का कलां भी अछूता नहीं था। ऐसे में सोनी ने कुछ बड़ा करने का इरादा करते हुए नशे के खिलाफ खेलों को हथियार बनाकर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने गांव में यूथ फुटबॉल क्लब के नाम से एक फुटबॉल टीम शुरू की। वर्ष 2003 में उनकी अकादमी ने एक रजिस्टर्ड सोसायटी के साथ हाथ मिला लिया, जो अब क्लब का फाइनैंशियल डिपार्टमेंट देख रही है।
बच्चों को कर रहे ट्रेंड
लगन से किए गए किसी भी काम में कामयाबी जरूर मिलती है और इसे गुरमंगल दास सोनी ने कर दिखाया है, जब उनकी फुटबॉल टीम शुरुआती कुछ सालों में ही पंजाब के दूसरे डिवीजन फुटबॉल लीग के लिए खेलने लग गई। ऐसी सफलता पाने के बाद सोनी के फुटबॉल क्लब ने रुड़का कलां में चार सरकारी स्कूलों को गोद ले लिया। आज यह रेसिडेंशियल फुटबॉल अकादमी में न केवल तब्दील हो गया है, बल्कि 40 छात्रों को अपने दम पर ट्रेंड भी कर रहा है।
फुटबॉल की ट्रेनिंग के साथ सोशल अवेयरनेस
इसके साथ ही यह अकादमी 12 गांवों में करीब 2,000 बच्चों को फुटबॉल की कोचिंग देती है। अकादमी कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर भी चलाती है, जहां 300 छात्रों को पढ़ाया जाता है और उन्हें स्टायपेंड भी दिया जाता है। अकादमी नियमित रूप से मेडिकल कैंप, यूथ डेवलपमेंट और एनवॉयरमेंटल अवेयरनेस कैंप भी आयोजित करता है।
गुरमंगल दास सोनी का कहना है कि पंजाब में ड्रग एक बड़ी समस्या है। इसलिए बच्चों को हम खेल, शिक्षा और सुविधाओं के माध्यम से अपने स्किल के साथ आगे बढ़ने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं ताकि वे किसी भी तरह की गलत आदतों में न फंसे।
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