जहां प्राइवेट स्कूलों और सरकारी स्कूलों की क्लास में बच्चों की बैठने तक की जगह नहीं होती है। वही बिहार में एक ऐसा स्कूल है, जहां पढ़ने के लिए एक ही बच्ची आती है और उसे पढ़ाने के लिए दो टीचर्स आते हैं। गया के इस सरकारी स्कूल में एक ही छात्र के आने का क्या कारण है, जिसके बारे में जानिए आगे के लेख में।
छात्र एक और दो टीचर्स
गया से लगभग 22 किलोमीटर पर मनसा बिगहा में एक सरकारी स्कूल है। जहां हर रोज़ सिर्फ एक छात्रा जाहनवी पढ़ने आती है। पहली क्लास की इस छात्रा को पढ़ाने के लिए रोज़ दो टीचर्स भी पहुंचते हैं।
ऐसा नहीं है कि स्कूल की हालात ठीक नहीं है। इस स्कूल में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर है, चार क्लास हैं, शौचालय और किचन भी है। अच्छी खासी सुविधा होने पर भी स्कूल में सिर्फ 9 बच्चों ने एडमिशन लिया था। एडमिशन के बाद जाहनवी के अलावा कोई भी बच्चा स्कूल नहीं आया। जाहनवी की इस लगन को देखते हुए टीचर्स ने भी उसे पढ़ाना ज़ारी रखा। टीचर्स को भी इस बात की खुशी है कि एक ही सही लेकिन वह उसकी इस लगन को कायम रखेंगे। इसलिये हर रोज़ उसे पढ़ाने के लिये स्कूल पहुंच जाते हैं।
आता है मिड डे मील
मिड डे मील योजना के तहत स्कूल में एक रसोइया भी है। जो केवल एक छात्र के लिये खाना भी बनाती है। अगर कभी लंच तैयार नहीं हो पाता, तो स्कूल नज़दीकी होटल से जाहनवी के लिये खाने का इंतज़ाम करता है।
स्कूल में छात्रों की कमी का कारण
ऐसा नहीं है कि मनसा बिगहा के बाकी बच्चे पढ़ाई नहीं करते। वे भी स्कूल जाते हैं, लेकिन केवल प्राइवेट स्कूलो में। सरकारी स्कूल में पढ़ाई को लेकर अलग सोच के चलते ज़्यादातर माता-पिता अपने बच्चों का एडमिशन प्राइवेट स्कूल में करवाते हैं।
यहां जाहनवी और उनके दोनों टीचर्स ने इस सोच को बदल दिया है। ज्ञान के लिए जगह से ज़्यादा महत्वपूर्ण है, गुरू और छात्र में पढ़ाने और पढ़ने की लगन होना और जाहनवी इसी का जीता जागता उदाहरण है।
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