कहते है बच्चें गीली मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जिस रूप में ढ़ालें, वो उसी रूप ढ़ल जाते हैं। ऐसे में माता पिता को चाहिए कि बचपन से ही उनमें कैसे आत्मविश्वास बढ़े? एक अभिभावक के रूप में उनके लिए ऐसे माहौल तैयार करें, जिससे वो प्रोत्साहित हो सके। उन्हें यकीन दिलाएं कि कैसे आत्मविश्वास से किसी भी तरह की जंग जीती जा सकती है।
समय के साथ बनाए रखे धैर्य
कुछ बच्चे बहुत जल्द ही हार मान लेते हैं और वो कुछ नया करने से भी घबराते हैं। ऐसे में अभिभावक के तौर पर बच्चों को वैसे लोगों के बारे में बताएं, जिन्होंने अपने आत्मविश्वास की बदौलत जीवन में बेहतर मुकाम हासिल कर चुके हैं।
हमेशा प्रोब्लम सॉल्विंग बनें
परेशानियों से डर कर भागना किसी भी चीज़ का समाधान नहीं होता है। डर इंसान की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा है – जिसने डर को काबू में कर लिया, समझिए वो ज़िंदगी में कुछ भी कर सकता है। बच्चे कैसे समस्याओं का सामना करें, कैसे आत्मनिर्भर बनें, उन्हें यह समय-समय पर बताना बेहद जरूरी है। उन्हें यह बताएं कि खुद पर आत्मविश्वास रखकर ही अपनी हर तरह की समस्याओं से निपटा जा सकता है।
उनकी जिज्ञासा को समझे
जिज्ञासा और ज्ञान बच्चों को कई तरह से प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी हैं। बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में यह अहम भूमिका निभाता हैं। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों की जिज्ञासा के बारे में उससे पूछे कि उसके मन में आखिर क्या चल रहा है?
चैंलेंज का कैसे करे सामना?
प्रत्येक माता- पिता अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक ज़िंदगी चाहते हैं। वे अपने बच्चों को सिखाते हैं कि उसे किसी भी चैलेंज का सामना कैसे करना है, क्योंकि वे जानते हैं कि बच्चे का सही विकास इसके बिना मुमकिन नहीं है। जब हम बच्चों को अपने दायरे से बाहर निकलने के लिए प्रेरित करते हैं, तब हम पहले से ज्यादा बेहतर करते हैं। साथ ही आपका बच्चा भी यह उम्मीद करता है कि उसके माता-पिता उसका उत्साह बढ़ाए और प्रशंसा करें।
असफलताओं से मिलती है बेहतर सीख
यह स्वाभाविक है कि सफलता से लोग उत्साहित होते हैं और असफलता से निराश। लेकिन असफलताओं की वजह से ही उन्हें पता चलता है कि उनकी कोशिशों में क्या कमी रह गई थी। कोई बच्चा अपनी असफलताओं को किस तरह देखता है, यह जानना भी एक माता-पिता का अहम कर्तव्य है। उसके बाद ही उस कमी का समाधान संभव है और जैसे ही वे उन कमियों का समाधान निकाल लेंगे सफलता उनके कदम चूमेंगी।
इसके साथ बच्चों को उनकी भावनाओं जैसेकि डर, गुस्सा, निराशा और ईर्ष्या पर संयम रखना सिखाए ताकि आपके आत्मसम्मान को कभी ठेस न पहुंचे। इस तरह की छोटी-छोटी बातों से आप अपने बच्चों का बेहतर विकास कर सकते हैं।
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