ये तो आप हमेशा ही सुनते है कि प्रकृति का आपके मन पर गहरा असर होता है या फिर आपने यह भी सुना होगा कि अगर कभी आप स्ट्रैस में हो, तो नेचर से जुड़ें, लेकिन इस बात का अब तक कोई प्रमाण नहीं था। हाल ही में की गई एक रिसर्च ‘फ्रंटियरंस इन सायकलोजी’ नाम के जनरल में पब्लिश हुई है, उसके अनुसार दिन में कम से कम बीस मिनट टहलने या ऐसी जगह बैठने से, जहां आपको प्रकृति के करीब महसूस हो, आपके अंदर के स्ट्रैस पैदा करने वाले हार्मोन के स्तर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
नेचर की कितनी डोज़ हो काफी?
रिसर्चर्स ने पहली बार आधुनिकता से होने वाले तनाव को कम करने के लिए प्रकृति की कितनी खुराक ली जाये, इस पर रिसर्च की है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. मैरीकैरोल हंटर के मुताबिक स्ट्रैस हॉर्मोन कॉर्टिसोल को कम करने के लिए किसी भी व्यक्ति को नेचर में कम से कम बीस मिनट बिताने चाहिये और जो व्यक्ति उससे ज़्यादा समय बिता सके, जैसे की तीस मिनट, तो उसके अंदर इस हार्मोन में और भी ज़्यादा तेज़ी से गिरावट देखी जा सकती है। इसे ‘नेचर पिल’ का नाम दिया गया।
कैसे की गई यह स्टडी?
इस स्टडी को आठ हफ्तों तक किया गया, जिसके दौरान पार्टिसिपेंट्स को हफ्ते में कम से कम तीन बार दस से ज़्यादा मिनट के लिए ‘नेचर पिल’ लेनी थी। कॉर्टिसोल के सलाइवा सैंपल्स को हर दो हफ्ते में नेचर पिल से पहले और बाद में लेकर टेस्ट किया गया।
पार्टिसिपेंट्स को समय, अवधि और जगह चुनने की आज़ादी दी गई थी, बशर्ते वह नेचर के पास महसूस करें। पार्टिसिपेंट्स को बस स्ट्रैस इंफ्लूएंस करने वाले फैक्टर्स को कम करने को कहा गया था, जैसे कि नेचर पिल को दिन में लेना, एरोबिक्स एक्सरसाइज़ को अवॉइड करना, सोशल मीडिया का कम इस्तेमाल करना, इंटरनेट और फोन कॉल्स से जितना हो सके दूरी बनाना।
डॉ. हंटर ने यह भी बताया कि एक्सपेरिमेंट के दौरान पार्टिसिपेंट्स की पर्सनल फ्लेक्सिबलिटी को मंजूरी दी गई थी, जिसमें उनका सामान्य रूटीन शामिल था। ऐसा इसलिये किया गया, ताकि पता चल सके कि नेचर पिल की कितनी डोज़ स्ट्रेस कम करने के लिए काफी है।
इस एक्सपेरिमेंट का उपयोग एक ऐसे इंस्ट्रूमेंट के रूप में किया जा सकता है, जो इस बात का आंकलन कर सके कि एज, जेंडर, सीज़न, फिज़िकल केपेबलिटी और कल्चरल इंफ्लुएंस किस तरह से नेचर के एक्सपीरिएंस को किसी भी व्यक्ति पर प्रभावित करते है।
अगर आप स्ट्रैस में है, तो आप भी नेचर पिल से अपने स्ट्रैस को कम कर सकते है।
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