ऐसे कई लोगों के उदाहरण हमारे सामने है, जो अभाव ग्रस्त जीवन गुजारने के बावजूद सिर्फ अपने स्ट्रॉन्ग विल पॉवर के दम पर ही कामयाबी के एवरेस्ट को छू पाते हैं। अगर हम हाल ही में सफल लोगों के जीवन को देखें, तो एशियन गेम्स में 400 मीटर की तेज़ दौ़ड़ में सिल्वर मेडल हासिल करने वाली हिमा दास असम के किसान परिवार से आती है। हिमा के पास शुरूआत में कोई ऐसा ट्रेनर नहीं था लेकिन विल पॉवर के दम पर ही उसने न सिर्फ जीत हासिल की, बल्कि अन्य लोगों को भी जीतने का गुरूमंत्र बता दिया।
खुद तय करते हैं अपनी मंज़िल
जिनके पास स्ट्रॉन्ग विल पॉवर होती है, वे अपनी मंज़िल खुद तय करते हैं और चाहे जितनी भी बाधाएं सामने आए, वे निडरता से उसका सामना करके उस पर विजय पाते हैं। सिकंदर, नेपोलियन, चंद्रगुप्त मौर्य, राजा अशोक आदि की कामयाबी के पीछे इसी स्ट्रॉन्ग विल पॉवर का हाथ था, क्योंकि उन्हें अपने विल पॉवर पर पूरा भरोसा था। कोलंबस ने अगर अटलांटिक को पार करके एक नया संसार खोज निकाला, तो केवल अपने स्ट्रॉन्ग विल पॉवर के दम पर। महात्मा गांधी में भी विल पॉवर कूट-कूट कर भरा हुआ था, तभी तो उन्होंने अकेले ही संसार के सबसे बड़े साम्राज्य को हिला डाला। यानी, स्ट्रॉन्ग विल पॉवर ही जीवन में सक्सेस पाने की चाबी है।
डिक्शनरी में ‘न’ शब्द नहीं
‘मैं यह काम करूंगा और करके ही दम लूंगा’ जैसी सोच ही विल पॉवर कहलाती है। ऐसे नेचर वाले लोगों की डिक्शनरी में ‘न’ शब्द नहीं होता है। ये लोग दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनते हैं। इनके संपर्क में आकर सामान्य सोच वाले लोगों की ज़िंदगी में पॉज़िटिव बदलाव आने लगते है, यानी मज़बूत विल पॉवर के लोगों की पर्सनैलिटी मैग्नेट जैसी होती है।
अभ्यास से पैदा होता है विल पॉवर
विल पॉवर इंसान की अपनी संपत्ति है। हालांकि, कुछ समय पहले तक विल पॉवर को मनोवैज्ञानिक एक स्वाभाविक, यानी प्रकृति का दिया गुण मानते थे, लेकिन अब यह कॉन्सेप्ट बदल चुका है। हालांकि, इस गुण का विकास इंसान में जन्म से लेकर लालन-पालन के काल से ही हो जाता है। लेकिन विल पॉवर को केवल अभ्यास के द्वारा ही बनाया जा सकता है क्योंकि यह मनुष्य की परिस्थितियों, आदतों और अभ्यास के अनुसार बनता-बिगड़ता है। विल पॉवर को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए कुछ मुश्किलों का अनुभव करना भी जरूरी है। विल पॉवर को स्ट्रॉन्ग बनाए रखना हमारे अपने हाथ में है, बशर्ते हम में तुरंत निश्चय करने तथा लक्ष्य चुनने की आदत हो।
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