जब आप बार-बार अपने बच्चे के सामने यह कहते हैं कि शर्मा जी का लड़का क्लास में फर्स्ट आया या फिर वर्मा जी की बिटिया स्टेट लेवल की एथलीट बन गई है, तो आप उनसे क्या उम्मीद करते हैं। ज़्यादातर लोग दूसरे बच्चों की प्रोग्रेस के बारे में इसलिए बात करते हैं, जिससे उनके बच्चे भी मोटिवेट होकर उस दिशा में अच्छा कर सके। लेकिन कभी सोचा है कि ऐसा करने से, कहीं न कहीं, एक बच्चे से आप कई बच्चों की कपेसिटी के आउटपुट की उम्मीद करने लगते हैं। यही वो कारण होता है, जिसकी वजह से बच्चा प्रेशर में आने लगता है।
खेल में जीतने का प्रेशर, क्लास में फर्स्ट आने का प्रेशर, थियेटर में अच्छा प्रदर्शन करने का प्रेशर, कुल मिला कर आगे बढ़ने और माता-पिता की उम्मीद पर खरे उतरने का प्रेशर। बच्चों को इस बेवजह के प्रेशर से दूर रखने के लिए कई सालों पहले अमेरिका के डेवलेप्मेंटल सायकोलॉजिस्ट ‘हॉवर्ड गार्डनर’ ने दुनिया के साथ ‘थ्योरी ऑफ मल्टीपल इंटेलीजेंस’ शेयर की थी।
अगर जाने अनजाने में अब तक आप भी अपने बच्चे को अच्छा परफॉर्म करने का प्रेशर डालते हैं, तो नीचे दी गई बातों पर ध्यान दें। साथ ही इस बात पर भी ध्यान दें कि बच्चा किसी चीज़ में एक्सट्राऑर्डिनरी अचीव करे या एकदम बेकार रिज़ल्ट लाये, दोनों ही स्थिति में आप संयम बनाये रखें और बच्चे को भी यही सिखायें।
आप अपने बच्चों को इस तरह ज़िंदगी की बातें सिखा सकते है-
– बच्चे की योग्यता की नहीं, उसके प्रयास की तारीफ करें।
– हर स्थिति में उसके साथ सहानुभूति दिखायें और उसके प्रति अपने प्यार को जतायें।
– उसे खुद पर भरोसा करना सिखायें।
– बच्चे को इस बात का विश्वास दिलाये कि हार-जीत जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा है।
– वह चाहे पास हो या फेल, आप उसके साथ हैं और उसके किये गये प्रयास पर गर्व करते हैं।
– गलतियों को स्वीकार करें और उनसे सबक लेना सिखायें।
– सफलता के प्रति अपनी खुद की परिभाषा को समझे।
– बच्चों के मार्गदर्शक बनें, लेकिन अपनी यात्रा उन्हें खुद करने दें।
ध्यान रखिये कि ज़िंदगी कोई ‘केक वॉक’ नहीं है। जैसे आपने अपनी ज़िंदगी के पाठ अपने आप सीखें हैं, अपने बच्चों को भी खुद सीखने दें। उसे राह ज़रूर दिखायें, लेकिन उस पर किसी काम को करने का जबरदस्ती प्रेशर न बनायें। हमेशा आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करें।
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