आप में से ज़्यादातर लोगों ने फेमस नॉवल सीरीज़ ‘हैरी पॉटर’ पढ़ी होगी या उसकी फिल्म देखी होगी और उसकी जादुई दुनिया को अपने अंदर महसूस किया होगा। कैसे नन्हें जादूगर तरह-तरह के जादू करके अपनी जिज्ञासा को पूरा करते है, कैसे छड़ी के घुमाते ही हॉल की सजावट बदल जाती है, कैसे तीन बच्चों के बीच गहरी दोस्ती हो जाती है और कैसे आप भी मन ही मन झाड़ू पर उड़कर मैच खेलते हैं। कभी हैरी राक्षसों से लड़ता है, तो कभी उनसे हार जाता हैं और कुछ ऐसा ही हैरी पॉटर सीरीज़ की लेखिका जे के रोलिंग की ज़िंदगी में भी चल रहा था। कुछ परेशानियों ने उन्हें घेर के रखा हुआ था।
क्या थी परेशानियां ?
रोलिंग अपने बीस के आखिरी पड़ाव में थी, जब उन्होंने हैरी पॉटर किताब लिखनी शुरु की थी। एक साल की शादी टूट जाने के बाद उस समय उनके पास नौकरी नहीं थी और ख्याल रखने के लिये एक छोटी सी बच्ची थी। इतनी सारी परेशानियों के बीच रोलिंग खुद पर से भरोसा खोने लगी थीं और उनका आत्मविश्वास कम होने लगा था। उनके पास अगर कुछ था, तो बस हैरी पॉटर के तीन चैप्टर्स।
यही वह समय था, जब वह डिप्रेशन का शिकार हो गई थी। हैरी पॉटर में व्यक्त किये गये राक्षसों को वह अपने अंदर डिप्रेशन के तौर पर महसूस करने लगी थी। उन्होंने कहा था, ‘डिप्रेशन सबसे बुरी चीज़ है, जिसे मैंने कभी महसूस किया था। इसमें आपको महसूस होने लगता है कि आप फिर से कभी खुश नहीं रह पायेंगे। यह बहुत खतरनाक भावना है और दुख महसूस होने से बिल्कुल अलग है। यह आपके अंदर से सारी अच्छी भावनाएं और यादें बाहर कर देते हैं। डिप्रेशन आपके अंदर आपके सबसे बुरे अनुभवों के अलावा कुछ नहीं छोड़ता।’
नहीं मानी हार
हालांकि वह डिप्रेशन से गुज़र रही थी, लेकिन उन्होंने इस बीमारी को हराने का ठान लिया। रोलिंग ने खुद से कहा कि उनके पास खोने के लिये कुछ भी नहीं है, तो इससे बुरा क्या हो सकता है। उनकी इस सोच और ढृढ़ निश्चय ने उनको सफलता के दरवाज़े पर ला दिया। उनकी अपनी निजी असफलताओं ने उन्हें अपने जुनून पर काम करने की ताकत दी।
रोलिंग ने हार्वर्ड कमेंसमेंट संबोधन में कहा कि असफलता का मतलब था अनावश्यक चीज़ों से अलग होना। मैंने खुद से बहाने बनाने बंद कर दिये और खुद की वास्तविकता को स्वीकार किया। मैंने सारी एनर्जी उसी काम में लगानी शुरू कर दी, जो मेरे लिये मायने रखती थी। मैं आज़ाद थी क्योंकि मुझे अपने सबसे बड़े डर का एहसास हो गया था। मैंने इस बात को स्वीकार किया कि मेरे पास बेटी, एक पुराना टाइप-राइटर है और एक बड़ा विचार है। इसलिये मैंने अपने जीवन के सबसे कमज़ोर पलों को एक ठोस आधार बनाया और जिस पर मैंने अपने जीवन का एक बार फिर से निर्माण किया।
रोलिंग ने डिप्रेशन की लड़ाई में ‘कदम उठाए सही’
– उन्होंने अपना पैशन फॉलो करते हुए लिखना शुरु किया। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई।
– साथ ही उन्होंने मेडिकल हेल्प लेकर दवाइयों और काउंसलिंग की मदद से वह डिप्रेशन को हराया।
– डिप्रेशन के बारे में अपने अनुभव लोगों को बताकर उन्हें जागरूक किया।
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