अब शहरों की ही नहीं, बल्कि गांवों की महिलाएं भी पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। फिर चाहे वह पढ़ी-लिखी न भी हो, तो भी अपने हौसले और हुनर के दम पर अपने परिवार का बेहतर भरण-पोषण का रास्ता तलाश ही लेती हैं। कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आमतौर पर पुरूष ही काम करते दिखते हैं, ऐसे क्षेत्रों में भी महिलाएं आगे बढ़कर न सिर्फ उन्हें चुनौती दे रही हैं, बल्कि बेहतरीन उपलब्धियां भी हासिल कर रही हैं। कुछ ऐसा ही कारनामा बिहार की महिलाओं ने भी कर दिखाया है। बस उन्हें जरूरत थी तो केवल उनके अंदर छिपे टैलेंट को सही डायरेक्शन देने की। जैसे ही उन्हें यह सुविधा मिली, उनके पंखों के लिए आसमान भी छोटी चीज़ बन गई।
‘नारी गुंजन’ की महिला ड्रमिस्ट
यह कहानी कॉरपोरेट कार्यालयों में काम कर रही सिर्फ शहरी महिलाओं की नहीं है, बल्कि यह पॉज़िटिव बदलाव बिहार के पिछड़े गांवों में भी देखने को मिल रहा है। सुधा वर्गीस के बनाए एनजीओ ‘नारी गुंजन’ ने गरीब महिलाओं की ड्रमिस्ट बनाकर नया जीवन दिया हैं।
दानापुर के ढीबरा गांव की दस महिलाओं को पटना के म्यूजिक टीचर आदित्य गुंजन कुमार ने आठ महीने तक म्यूजिक की ट्रेनिंग दी और इसके बाद आज ये सभी महिलाएं शादी समारोहों और फेस्टिवल्स में परफॉर्म करती हैं और इन्हें अपने परफॉर्मेंस के लिए काफी वाहवाही भी मिलती है।
बेहद मज़ेदार है यह आज़ादी
नए जमाने की ये महिलाएं एक जैसी साड़ी और जूते में थके हुए शरीर के बावजूद जब अपने कंधे पर ड्रम लादती हैं, तो मानो हर दुख को भूल जाती हैं। तभी तो घर से बाहर निकलते ही इनकी यात्रा उत्साह से भर जाती हैं। वह कहती हैं कि पति और बच्चों के बिना काम के लिए ट्रैवलिंग की यह आजादी बेहद मज़ेदार है। उन्हें उनके काम के कारण इतनी इज्जत मिलती है कि जब वे घर लौटती हैं, तो खुद को नई ऊर्जा से भरा महसूस करती हैं।
बढ़ गया कॉन्फिडेंस लेवल
ड्रम बजाने वाली ये महिलाएं जब कहीं बाहर जाती हैं, तो वहां एक या दो दिन तक रहकर कुछ नई चीजें देखना-समझना चाहती हैं। दरअसल, जॉब को लेकर उनकी यह ट्रैवलिंग उनके दिमाग की परतों को खोलती है और उन्हें सभी चिंताओं से मुक्त कर देती है। इज़्जत और नाम मिलने से इनका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ गया है।
सफर नहीं था आसान
हालांकि, महिलाओं के लिए ये सफर आसान नहीं रहा है, जब वे शुरूआत में ड्रम बजाना सीख रही थीं, तब लोग ताने भी मारते थे कि ‘यह पुरूषों का काम है, महिलाओं को ऐसा नहीं करना चाहिए।’ लेकिन आज उनके हुनर की वजह से पूरे गांव को उन पर गर्व हैं।
इन महिलाओं ने साबित कर दिया कि अगर कोई निश्चय कर लिया जाए, तो सपनों की उड़ान को पूरा करना मुश्किल नहीं हैं।
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